मीरा की गिरधर गोपाल से ऐसी भक्ति की विष भी बन गयी अमृत
55 वें सिय पिय मिलन महोत्सव के छठवें दिन मीरा चरित्र देख भाव विह्वल हुए श्रद्धालु




न्यूज़ विज़न। बक्सर
नगर के नया बाजार सीताराम विवाह आश्रम के महंत राजाराम शरण दास जी महाराज के सानिध्य में पूज्य संत श्री खाकी बाबा सरकार की पुण्य स्मृति में चल रहे 55 वें सिय पिय मिलन महोत्सव के छठवें दिन मंगलवार को रासलीला में वृंदावन के श्री फतेह कृष्ण शास्त्री की मंडली के द्वारा मीरा चरित्र प्रसंग का भव्य मंचन किया गया।








मीराबाई चरित्र में दिखाया गया कि मीराबाई के नगर राजस्थान के मेड़ता गांव में संत रैदास जी आते हैं। मीराबाई अपने माँ के साथ संत के सत्संग में जाती है। वहाँ संत के पास गिरिधर गोपाल को देखकर आकर्षित हो जाती है। वह संत से उस गिरिधर गोपाल की मूरत को मांगने जाती है। परन्तु रैदास जी देने से इंकार कर देते हैं। सत्संग से घर लौटने के बाद मीराबाई उस गिरिधर गोपाल की मूर्ति पाने के लिए अन्न जल का त्याग कर देती है। उधर रात्रि में संत को स्वप्न में गोपाल आते हैं और कहते हैं कि मेरी मूरत मीराबाई को दे दो अन्यथा मैं नाराज हो जाऊंगा। संत जागृत अवस्था में आते है और मीराबाई के यहाँ जाकर अपने गिरिधर गोपाल की को सौंप देते हैं। मीराबाई गोपाल को पाकर बहुत प्रसन्न होती है।



समयानुसार मीराबाई का विवाह मेवाड़ के महाराज भोजराज से होता है। भोजराज मीरा को घर लेकर आते हैं। कुछ दिन पश्चात् भोजराज का स्वर्गवास हो जाता है। उसके बाद मीरा गोपाल की भक्ति में तल्लीन हो जाती है और संतों के साथ नाचते- गाते संकीर्तन करने लगती है। इस तरह करते देखकर भोजराज के छोटे भाई विक्रम सिंह मीरा से ईर्ष्या करने लगते हैं और उनको तरह तरह की यातना देने लगते हैं। मीरा के गोपाल की चोरी करवाई जाती है, मीरा को सांप से कटवाया जाता है, जहर पिलाया जाता है, मीरा को भूतों के महल में भेजकर मारने का प्रयास किया जाता है। लेकिन गोपाल सब जगह मीरा की रक्षा करते हैं। यह देख विक्रम सिंह घबरा जाता है और अंत में मीरा से क्षमा मांगता है। फिर मीराबाई भक्ति करने वृंदावन धाम चली जाती है, वहाँ गिरिधर गोपाल उन्हें दर्शन देते हैं। उक्त लीला का दर्शन कर श्रद्धालु भाव विभोर हो जाते हैं।
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