21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव के बारहवें दिन “शूर्पणखा नासिका भंग” एवं “भक्त गोपाल” का मंचन हुआ




न्यूज़ विज़न। बक्सर
शहर के किला मैदान में श्री रामलीला समिति के तत्वावधान में विशाल रामलीला मंच पर चल रहे 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव के बारहवें दिन रविवार को श्रीधाम वृंदावन से पधारी सुप्रसिद्ध रामलीला मंडल श्री राधा माधव रासलीला एवं रामलीला संस्थान के स्वामी श्री सुरेश उपाध्याय “व्यास जी” के सफल निर्देशन में देर रात्रि मंचित रामलीला के दौरान “शूर्पणखा नासिका भंग” प्रसंग का मंचन हुआ। और रासलीला में भक्त गोपाल का मंचन हुआ।







रामलीला के दौरान दिखाया गया कि प्रभु श्रीराम, सीता जी का सुंदर श्रृंगार करते हैं। उसी वक्त जयंत की पत्नी वहां पहुंचती है और भगवान श्री राम का दर्शन कर उनके चरणों की भक्ति मांगती है। भगवान की कृपा से वह स्वर्ग पहुंचती है। वहाँ जयंत ने अपनी पत्नी से पूछा की तुम कहां गई थी, वह सारा वृतांत बताती है। जयंत कौवे का वेश बनाकर भगवान की परीक्षा लेने आता है, और सीता जी के पैर में चोट मारता है। श्री राम जयंत के लिए अग्निबाण छोड़ देते हैं। वह उससे बचने के लिए अपने पिता इंद्र के अलावे भागते हुए भोलेनाथ और ब्रह्मा जी के पास जाता है। परंतु उसकी रक्षा कोई नहीं करता। अंत में नारद जी ने बताया कि जिसका तुमने अपराध किया है उसी के शरण में जाओ। जयंत श्री राम की शरण में आता है जहाँ भगवान उस पर कृपा करते हुए उसकी एक आंख फोड़ देते हैं। जयंत पर कृपा करके भगवान श्री राम आगे बढ़ते हुए अत्रि ऋषि के आश्रम पहुंचते हैं, जहां वह श्री राम का भव्य स्वागत करते हैं और सीता जी को माता अनसूईया जी के पास शिक्षा लेने के लिए भेजते हैं। जहां अनुसूया माता सीता को स्त्री धर्म का उपदेश देती है. यहां से आगे बढ़ने पर सरभंग ऋषि मिलते हैं, वह उनका उद्धार करते हुए आगे प्रस्थान करते हैं। और मार्ग में अगस्त ऋषि से मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए पंचवटी में निवास करते हैं। वहां श्री राम अपने अनुज लक्ष्मण को सुंदर उपदेश देते हैं। उसी समय रावण की बहन सूर्पणखा पंचवटी पर घूमने आती है, और दोनों भाइयों के सौंदर्य को देखकर मोहित हो जाती है। वह अपना सुंदर सा रूप बनाकर दोनों भाइयों के समक्ष जाती है, और विवाह करने का प्रस्ताव देती है। दोनों भाइयों के मना करने के बाद भी वह विवाह करने के लिए हठ करने लग जाती है तब श्री लक्ष्मण जी सूर्पनखा की नाक काट देते हैं। इस प्रसंग को देखकर दर्शक रोमांचित हो जाते है, और पंडाल जय श्रीराम के उद्घोष से गुंज उठता है इस दौरान पूरा रामलीला परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था।

वहीं इसके पूर्व दिन में श्री कृष्ण लीला के दौरान..”भक्त गोपाल” चरित्र के प्रसंग का मंचन हुआ. जिसमें दिखाया कि भक्त गोपाल एक जाट परिवार से गरीब किसान रहता है आर्थिक तंगी के कारण उसकी पत्नी बराबर उनको उलाहना देती रहती है। एक दिन उनकी पत्नी ने उन्हें घर से निकाल दिया तो अनपढ़ गोपाल एक संत के आश्रम पर जाकर आश्रय लिया. गोपाल को गाय चराने का कार्य मिला। संत ने गोपाल से कहा कि आज से श्री राम को पिता व सीता जी को माता के रुप में मानना होगा और आज से तुम जब भी प्रसाद ग्रहण करोगे भगवान को भोग लगाकर ही करना होगा. संत ने गोपाल को कुछ राशन देते हुए कहा कि गाय चराते वक्त अगर संध्या हो जाए तो वहीं पर अपना प्रसाद बनाकर खा लेना। भक्त गोपाल सच्चे हृदय के थे, रोज गाय चराने जाते और बिना भगवान के भोग लगाए प्रसाद नहीं ग्रहण करते. एक दिन भक्त गोपाल खाना नहीं बना पाए तो यह देखकर श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान सभी आकर गोपाल के लिए खाना बनाते हैं। इधर संत ने देखा कि मंदिर से सभी मूर्तियां गायब है, तो वह ढूंढते- ढूंढते वन में पहुंचते हैं और सभी बातें पता चल चलने पर भक्त गोपाल को अपने हृदय से लगा लेते हैं।
उक्त लीला का दर्शन कर श्रद्धालु भाव विभोर हो जाते है। उक्त लीला के दौरान आयोजन समिति के सचिव बैकुण्ठ नाथ शर्मा, संयुक्त सचिव सह मीडिया प्रभारी हरिशंकर गुप्ता, कोषाध्यक्ष सुरेश संगम, कृष्ण कुमार वर्मा, उदय कुमार सर्राफ उर्फ जोखन जी के अलावे बिहार प्रदेश भाजपा पैनलिस्ट श्रीमती रानी चौबे मुख्य रुप से उपस्थित थी।

