जन्म से लेकर उनके अपने धाम में पधारने तक जो कर्म भगवान करते हैं उसे हम लीला कहते है : पौराणिक जी महाराज




न्यूज विजन । बक्सर
अवतार में ईश्वर के जन्म से लेकर उनके अपने धाम में पधारने तक जो कर्म भगवान करते हैं उसे हम लीला कहते हैं। ईश्वर द्वारा उनके अवतार काल में किए गए कार्यों का ही शास्त्रों, पुराणों एवं रामायण आदि ग्रंथों में वर्णन किया गया है। जिसे हम सभी कहते एवं सुनते हैं वही कथा है। उक्त बाते शहर के रामरेखा घाट रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में चल रहे लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के पांचवे दिन आचार्य कृष्णानंद शास्त्री ने भागवत कथा के दौरान कहा।

उन्होंने कहा की लीलाओं और कथाओं के माध्यम से संपूर्ण संसार के लोगों को जीवन जीने एवं मानव जीवन को सफल बनाने के विभिन्न गुण और ज्ञान महर्षि, मुनियों एवं महात्माओं ने दिए हैं। ईश्वर के असंख्य अवतारों में राम अवतार और कृष्णा अवतार है। इन दोनों अवतारों को प्रमुख माना गया है। दोनों ने इस अखिल लोक को अपने आचरण एवं प्रवचन द्वारा उपदेश दिया है। यही उपदेश अर्थात इनकी लीला रामायण एवं भागवत के नाम से संपूर्ण लोकों में विख्यात है। राम की लीला जो रामायण है वह मर्यादा का ग्रंथ है तथा श्रीकृष्ण की लीला जो भागवत है वह लीला का ग्रंथ है। राम को मर्यादा पुरुषोत्तम तथा कृष्ण को लीला पुरुषोत्तम कहा जाता है। इन दोनों लीलाओं में अंतर हैं राम ने अपनी लीला मर्यादा में की है तथा श्रीकृष्ण ने अपनी लीला में मर्यादा की है। मर्यादा में लीला करने वाले राम के सभी आचरण मनुष्य के लिए अनुकरणीय एवं अनुसरनीय है। जबकि लीला में मर्यादा स्थापित करने वाले लीला पुरुषोत्तम श्री कृष्ण की बहुत सी लीलाएं तो श्रवणी एवं मननीय हैं एवं अन्य आचरण करणीय है। भागवत में पहले श्रीराम की लीला तत्पश्चात श्रीकृष्ण लीला का वर्णन करने का अभिप्राय है कि मानव समाज जब श्रीराम की मर्यादा में जीने की आदत डालने में खुद को सक्षम बना लेगा तभी उसे लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण की लीला समझ में आ सकेगी। अतः मानव के जीवन में राम की मर्यादा से समुचित श्री कृष्ण के आचरण का अनुसंधान ही संपूर्ण मानवता का प्रमाण है। श्री कृष्ण ने जन्म लेने के बाद खुद के 11 वर्ष 52 दिनों तक के कालखंड को प्रेम लीला में प्रतीत किया है। इस प्रेम लीला रहस्य को जो जान लेता है वही दुनिया का महान संत है।









