RELIGION

गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन यज्ञशाला में बने 108 कुंडों में दी आहुतियां 

सुबह 4 बजे से लेकर 8 बजे तक श्रद्धालुओं ने प्रातः: जागरण, ध्यान, जप एवं प्रज्ञा योग किया 

न्यूज़ विज़न। बक्सर 

नगर के आईटीआई आईटीआई मैदान में आयोजित 108 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन बुधवार को अाध्यात्मिक कार्यक्रम आरंभ कर दिये गये जिसमे सुबह 4 बजे से लेकर 8 बजे तक श्रद्धालुओं ने प्रातः: जागरण, ध्यान, जप एवं प्रज्ञा योग किये। इस दौरान गायत्री महामंत्र से यज्ञ स्थल गूंज रहा था। वही मैदान में बने यज्ञशाला में आस्था का सैलाब उमड़ गया था। यज्ञ स्थल पीले रंग के वस्त्रों से सुसज्जित श्रद्धालुओं से पट गया था।

 

वहीं सुबह 8 बजे से लेकर 12 बजे दिन तक सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कुंड में विशेष आहुतियां दी। पूरा वातावरण हवन के सुगंधित हो गया था। हवन के बाद मंच से शांतिकुंज, हरिद्वार से टोली के प्रवचन से लोग धन्य हो गये। टोली के सदस्यों ने यज्ञ के महत्व को बताते हुए कहा कि हवन करने से वातावरण शुद्ध हो जाता है। मानव शरीर के साथ ही सभी जीवों का शरीर स्वस्थ रहता है। हवन से पूर्व देव पूजन का कार्यक्रम संपन्न कराया गया।

यज्ञ मंडप का श्रद्धालुओं ने किया परिक्रमा:

हवन के बाद श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप का परिक्रमा किया। परिक्रमा के दौरान सभी श्रद्धालु मां गायत्री का जप कर रहे थे। वहीं हर थोड़ी देर पर हम सुधरेंगे युग सुधरेगा का नारा और मां गायत्री के जयघोष से यज्ञ स्थल गूंज जा रहा था। हवन और यज्ञ मंडप के परिक्रमा के बाद श्रद्धालुओं के बी प्रसाद का वितरण किया गया। वहीं दोपहर 2 बजे कार्यकर्ता गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें गुरुवार को महायज्ञ में प्रवचन के लिए आने वाले प्रति कुलपति, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार डॉ चिन्मय पण्डया का के का स्वागत और उनके कार्यक्रम की तैयारी को लेकर विशेष चर्चा की गई। मौके पर जिला गायत्री परिवार ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी रामानंद तिवारी मंच से आगामी कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी।


प्रज्ञा पुराण कथा का कराया श्रवण:

शांतिकुंज, हरिद्वार से आई टोली ने शाम को प्रज्ञा पुराण कथा का श्रवण कराया। उन्होंने कहा कि प्रज्ञा पुराण कथा में अट्ठारह पुराणों का सार है। धार्मिक, नैतिक और आध्यात्मिक कथाओं से मानव का नैतिक उत्थान होता है। यह कथा जीव को आत्मबोध कराता है। इसमें परिवार निर्माण, नारी जागरण व सशक्तिकरण और वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाया जाता है। प्रज्ञा पुराण कथा का रसपान करने के लिए यज्ञ स्थल पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी थी।

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