सिद्धाश्रम के गौरव को पुनर्स्थापित करना मेरा एकमात्र उद्देश्य : राजकुमार चौबे
बक्सर की मिट्टी में अनादि काल से गुरुकुल की परंपरा रही है, पुरातन संपदा को अपनी आंखों के सामने नष्ट विनष्ट होते देख होती है आत्मग्लानि




न्यूज़ विज़न। बक्सर
विश्वामित्र सेना द्वारा प्रभु श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ रामरेखा घाट पर धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम में संतों और सनातन प्रेमी काफी संख्या में उपस्थिति होकर सनातन के उद्घोष किये। कार्यक्रम की शुरुआत सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चौबे द्वारा प्रभु श्री राम के चरण कमल में पुष्प अर्पित, सनातन गुरुकुल के शिष्यों के द्वारा वेद पाठ एवं संतों के मंत्रोच्चार से किया गया। वही राजकुमार चौबे ने रामरेखा घाट स्थित प्रभु श्री राम की पदचिन्ह का दर्शन कर शपथ लिया कि विश्वामित्र के राम को बक्सर में लाना है।









कार्यक्रम में बक्सर के संतों ने अपने-अपने विचार भी रखें। वही आगंतुक अतिथियों और श्रद्धालुओं का अंग वस्त्र और फूल माला से सम्मानित किया गया। सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे ने कहा कि बक्सर की पौराणिकता, पवित्रता की दास्तान अनूठी है। पुराणों में लिखा है कि ‘सिद्धाश्रमसमं तीर्थं न भूतं न भविष्यति।’ मतलब पूरी पृथ्वी पर सिद्धाश्रम के समान न तीर्थ हुआ है और न होगा। बक्सर की मिट्टी में अनादि काल से गुरुकुल की परंपरा रही है। पुराणों में भी उल्लेख है कि गंगा नदी के तट पर बसे इस भू-भाग में 88 हजार ऋषि-मुनि तप किया करते थे। यह आदि विद्रोही विश्वामित्र की तपोभूमि रही है। जहां ऋषि तो ऋषि खुद ब्रह्मा और भगवान ने खुद को सिद्ध किया। बक्सर की मिट्टी में अनादि काल से गुरुकुल की परंपरा रही है। पुराणों में भी उल्लेख है कि गंगा नदी के तट पर बसे इस भू-भाग में 88 हजार ऋषि-मुनि तप किया करते थे। यह आदि विद्रोही विश्वामित्र की तपोभूमि रही है। जहां ऋषि तो ऋषि खुद ब्रह्मा और भगवान ने खुद को सिद्ध किया।




उन्होंने कहा कि बक्सर वह धरती है जहां श्री हरि ने वामन अवतार लिया, प्रभु श्री राम ने स्वयं अपने हाथों से श्री रामेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना की, गौतम ऋषि की पत्नी माता अहिल्या का उद्धार किया, नारद मुनि, भार्गव ऋषि उद्दालक ऋषि च्यवन ऋषि जैसे मुनियों ने यहां अपनी शिक्षा स्थली तपोस्थली के रूप में बक्सर को जब तप आध्यात्मिक साधना का केंद्र बनाया। रामायण इस बात का प्रमाण है कि बक्सर वैदिक काल में कितना संपन्न और कितना समृद्धिवान रहा है मन ग्लानि से भर जाता है जब पुरातन संपदा को अपनी आंखों के सामने नष्ट विनष्ट होते हुए देखते हैं। विश्वामित्र सेना विश्वामित्र के राम की स्थापना, वामन भगवान की जेल परिसर से मुक्ति, पुण्यभूमि, सिद्धाश्रम की गौरव को पुन स्थापित करने के लिए संकल्पित है।
कार्यक्रम में मंच संचालन राष्ट्रीय मीडिया कोऑर्डिनेटर अशोक उपाध्याय ने किया। वही धन्यवाद ज्ञापन शाहाबाद संयोजक रविराज ने किया। कार्यक्रम में बसवा पीठ के प्रतिनिधि भोला बाबा, रूप लाल पाठक , रविकांत कुशवाहा, गुड्डू पंडित, पिंटू पंडित ,राजेश पाठक, अनिरुद्ध तिवारी, उप प्रमुख मोहित बाबा, नितेश उपाध्याय, नीलम श्रीवास्तव, जीउत सिंह, जय प्रकाश सिंह, दीपक, संजय गुप्ता, संदीप केसरी, मोती बाबा, कपिल मुनि पंडित, धीरज सिंह, विमलेंद्र बबलू , जितेंद्र ठाकुर सहित हजारों संख्या में राम भक्त मौजूद रहे।
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