RELIGION

 सीताराम विवाह महोत्सव के तीसरे दिन मीराबाई के चरित्र व रात्री में राम जन्म लीला का हुआ आयोजन 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

शहर के नया बजार में पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार  के पुण्य स्मृति में चल रहे  54 वें श्री सीताराम विवाह महोत्सव के तीसरे दिन भी भक्तिरस से सराबोर हुए श्रद्धालु भक्त। आश्रम परिसर में नित्य की भांति आज भी  प्रातः काल से ही विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए।आश्रम  के परिकरो द्वारा सर्वप्रथम श्री रामचरितमानस जी का नवाह पारायण पाठ किया गया।तत्पश्चात दामोह की संकीर्तन मण्डली के द्वारा किया जा रहा अखण्ड हरिनाम संकीर्तन जारी रहा।

वही सुबह दस बजे से वृंदावन से आए हुए राष्ट्रपति पदक प्राप्त रासाचार्य स्वामी फतेह कृष्ण शर्मा जी के निर्देशन में रासलीला में भक्त मीराबाई के चरित्र का मंचन किया गया जिसे देखकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। वृंदावन के मंझे हुए कलाकारों द्वारा लीला मंचन में दिखाया गया कि राजपरिवार में जन्मी मीराबाई के बाल मन में कृष्ण की ऐसी छवि बसी थी कि यौवन काल से लेकर मृत्यु तक मीरा ने कृष्ण को ही अपना सब कुछ माना। मीरा बाई के बचपन में एक दिन उनके पड़ोस में किसी बड़े आदमी के यहां बारात आई थी। सभी स्त्रियां छत पर खड़ी होकर बारात देख रही थीं। मीरा बाई भी उनके साथ बारात देख रही थीं। इस दौरान मीरा ने अपनी माता से पूछा कि मेरा दूल्हा कौन है। इस पर मीराबाई की माता ने श्रीकृष्ण की मूर्ति की तरफ इशारा कर कह दिया कि वही तुम्हारे दूल्हा हैं। यह बात मीराबाई के बाल मन में एक गांठ की तरह बंध गई। मीराबाई का विवाह मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में राणा सांगा के पुत्र भोजराज से कर दिया गया। इस शादी के लिए पहले तो मीराबाई ने मना कर दिया। पर जोर देने पर वह फूट फूटकर रोने लगी और विदाई के समय कृष्ण की वही मूर्ति अपने साथ ले गई, जिसे उसकी माता ने उनका दूल्हा बताया था।

 

मीराबाई के विवाह के दस बरस बाद उनके पति का देहांत हो गया। मीराबाई के कृष्ण प्रेम को देखते हुए लोक लाज की वजह से मीराबाई के ससुराल वालों ने उन्हें मारने के लिए कई चालें चाली पर सब विफल रहीं। मीराबाई ने भक्ति को एक नया आयाम दिया है, एक ऐसा स्थान जहां भगवान ही इंसान का सब कुछ होता है। दुनिया के सभी लोभ उसे मोह से विचलित नहीं कर सकते। एक अच्छा खासा राजपाट होने के बाद भी मीराबाई वैरागी बनी रहीं।

 

कालांतर में मीराबाई द्वारिका में भगवान द्वारिकाधीश रणछोड़ जी के विग्रह में विलीन होकर भगवान श्रीकृष्ण के परम धाम चली गई। लीला का जीवंत मंचल दे श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।

जबकि रात्रि के रामलीला में आश्रम के परिकरो एवं लीला मंडली के द्वारा प्रभु श्री राम के जन्म की लीला का मंचन किया गया। आश्रम के परिकरो एवं वृंदावन के कलाकारों कलाकारों की जीवंत प्रस्तुति ने अयोध्या धाम की झलक प्रस्तुत कर दी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button