रास तो जीव व शिव के मिलन की कथा है : आचार्य रणधीर ओझा




न्यूज विजन । बक्सर
शहर के चरित्रवन शिक्षक कॉलोनी स्थित मनोकामना सिद्ध महावीर मंदिर के परिसर में भक्ति रस की धारा बह रही है। मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन आचार्य रणधीर ओझा महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में श्रेष्ठतम रासलीला का वर्णन सुनाया। उन्होंने कहा कि जीव और ब्रह्म का मिलन ही महारास है। महारास शरीर नहीं, आत्मा का विषय है। जब हम प्रभु को सर्वस्य सौंप देते हैं तो जीवन में रास घटित हो जाता है। महारास में श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजा कर गोपियों का आवाहन किया। लेकिन, जब गोपियों की तरह भक्ति में अहंकार हो जाता है तो प्रभु ओझल हो जाते हैं। इसके बाद गोपियों ने गीत गाया । अपने हृदय की पीड़ा प्रकट की तब भगवान श्रीकृष्ण प्रगट हो गए। उन्होंने कहा कि रास तो जीव व शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। कामदेव ने भगवान पर अपने पूरे सामर्थ के साथ आक्रमण किया लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया। उसे ही परास्त होना पड़ा।

