रामलीला समिति के तत्वधान में ऐतिहासिक किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर जिउतिया पर्व के अवसर पर शनिवार को 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव का भव्य शुभारंभ वेदत् ध्वनि व मंत्रोच्चार के बीच लक्ष्मी नारायण मंदिर के महंत श्री श्री 1008 जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री राजगोपालाचार्य त्यागी जी महाराज के कर कमलों व आशीर्वचन के साथ किया गया। उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि लखीमपुर के वरीय पुलिस अधीक्षक व लोकप्रिय आईपीएस आनन्द मिश्रा ने गणेश पूजन व आरती किये। गणेश पूजन के साथ रामलीला का शुभारम्भ करते मुख्य अतिथि आंनद मिश्रा
उद्घाटन के दौरान विधिसम्मत पूजन का कार्य जिले के प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा संपन्न कराय गया। जिसमें प्रत्येक मंदिर से पधारे वेदपाठी ब्रह्मचारियों के मंत्रोच्चार से पूरा मैदान वैदिक मंत्रों से गूंजायमान हो उठा। इस दौरान पूरा परिसर श्रद्धालुओं एवं व्रतधारी महिलाओं से खचाखच भरा हुआ था। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रामावतार पांडेय ने किया. एवं संचालन समिति के सचिव बैकुंठ नाथ शर्मा ने की। इस मौके पर कई गणमान्य सहित नगर के तमाम समाजसेवी, साहित्यकार, चिकित्सक, प्रतिष्ठित व्यवसायी व प्रशासनिक अधिकारी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। उद्घाटन के पश्चात समिति के सचिव बैकुंठ नाथ शर्मा ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी पूर्व से चली आ रही इस परंपरागत संस्कृति को श्री रामलीला समिति द्वारा निरंतर भव्यता प्रदान करने का प्रयास किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में बक्सर का 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव प्रसिद्ध है। उन्होंने प्रत्येक वर्ष इस आयोजन को अपना पूर्ण सहयोग देने के लिए नगरवासियों, जिला प्रशासन, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रति आभार भी प्रकट किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन जिला कोषाध्यक्ष सुरेश संगम ने किया। खांकी बाबा सरकार और मामा जी महाराज का पूजन करते अतिथि
इसके पश्चात मथुरा वृंदावन से पधारी श्री नंद नंदन रासलीला एवं रामलीला संस्थान के स्वामी श्री करतार बृजवासी सफल निर्देशन में गणेश पूजन व सती मोह लीला का सफल मंचन किया गया। जिसमें दिखाया गया कि गणेश जी के पूजन वंदन के पश्चात सती और भोलेनाथ एक साथ ऋषि अगस्त के आश्रम में पधारते हैं। जहां वह श्री राम की कथा का श्रवण करते हैं. इस वक्त सती भगवान श्री राम की परीक्षा लेने का विचार बनाती है, और वनों में श्री राम की परीक्षा लेने पहुँच जाती है. वहाँ श्री राम उन्हें पहचान जाते हैं और उन्हें अभिवादन कर भोलेनाथ का समाचार पूछते हैं. जिससे सती शर्म से भयभीत हो आंखें बंद कर बैठ जाती है. उन्हें चारों तरफ राम, लक्ष्मण और सीता का प्रतिबिंब दिखाई देने लगता है। सती के वहां से लौटने के बाद भोलेनाथ सती से परिक्षा की बात पूछते हैं। परंतु सती यह बात उनसे बात छुपाती है। इधर भोलेनाथ ध्यान के पश्चात परीक्षा की सारी बातों को जान लेते हैं। और इसी समय से भोलेनाथ मन ही मन सती को माता के रूप में देखने लग जाते हैं। इधर सती के पिता दक्ष यज्ञ का आयोजन करते हैं परंतु भोलेनाथ को निमंत्रण जान बूझकर नहीं देते. यह सुनकर सती बिना बुलाए अपने पिता के यहाँ पहुंच जाती है और पति का अपमान समझकर यज्ञ कुंड में कूद जाती है। जब भोलेनाथ को इस बात की जानकारी मिलती है। तो वहां वह वीरभद्र को भेज कर यज्ञ का विध्वंस कर देते हैं। प्रसंग में आगे दिखाया गया कि यज्ञ कुंड में आहुति देने के बाद इधर सती का जन्म हिमालय के यहां पार्वती के रुप में होता है। नारद जी के वचन के अनुसार शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए वह कठोर तप करती है। अंत में शिवजी से पार्वती जी का विवाह होता है। यह देख रामलीला मैदान में सभी श्रद्धालु हर्षित हो भाव विभोर हो जाते हैं और भगवान शिव का जय जयकार करने लगते हैं।
इस दौरान रामलीला समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रामावतार पांडेय, समिति के सचिव बैकुंठ नाथ शर्मा, संयुक्त सचिव सह मीडिया प्रभारी हरिशंकर गुप्ता, कोषाध्यक्ष सुरेश संगम, लाइसेंसदार कृष्णा जी वर्मा, रोहतास गोयल, बबन सिंह, उदय सर्राफ उर्फ जोखन, राजकुमार गुप्ता, प्रोफेसर सिद्धनाथ मिश्र, बासुकीनाथ सिंह, डॉ मनोज कुमार मिश्रा, राजेश चोरसिया, प्रफुल्लचंद सिंह, उदय नारायण पांडेय, नारायण राय, राकेश राय, बृजमोहन सेठ, राघव पांडेय, अजय कुमार पांडेय, संतोष पांडेय, अवध बिहारी मिश्र, दीपक सिंह, कमलेश पाल, आशुतोष चतुर्वेदी, अशोक पांडेय, साकेत श्रीवास्तव सहित अन्य मुख्य रूप से उपस्थित थे।