RELIGION

गंगा की रक्षा के लिए समाज को अपनी जीवन शैली बदलनी होगी : होसबोले

हरिद्वार में आयोजित हुआ गंगा समग्र का तीन दिवसीय कार्यशाला

न्यूज विजन । बक्सर
गंगा की रक्षा के लिए समाज को अपनी जीवन शैली बदलनी होगी। जीवन शैली बदले बिना गंगा को अविरल और निर्मल करना संभव नहीं है। उक्त बाते हरिद्वार के डिवाइन कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल साइंस में गंगा समग्र द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय अभ्यास वर्ग के समापन समारोह के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा। उन्होंने कहा कि गंगा से ही भारत है।इसलिए इसको बचाना हर भारतीय का धर्म है। हमें अतीत से प्रेरणा लेकर वर्तमान को बदलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज पंचतत्व में एक जल पर गंभीर संकट है। दुनिया के अनेक संस्कृतियों की प्रवृत्ति बन गई है कि पहले चीज नष्ट करो, फिर उन्हें सुधारने का अभियान चलाओ। इसी का नतीजा है कि पंचतत्व खतरे में है। उन्हें बचाने के लिए जीवन शैली बदलनी होगी। यह संदेश भारत में जी-20 सम्मेलन के जरिए दुनिया को बता दिया है।उन्होंने गंगा को संपूर्ण जल का प्रतिनिधि बताया और कहा कि गंगा के कारण इतिहास है। इसके काम ही संस्कृति है। गंगा है तो भारत है अनेकों कलाओं का विकास किसी के किनारे हुआ है भारत की आत्मा गंगा में है। उन्होंने समझाया कि गंगा के बिना भारत की कल्पना भी संभव संभव है। गंगा समग्र के कार्यकर्ताओं से कहा कि गंगा के साथ ही पर्यावरण की रक्षा के लिए जीवन शैली बदलने की पहल वे खुद करें। फिर समाज को मानस बदले। गंगा समग्र 1कार्य की गति बताती है कि यह अभियान लक्ष्य हासिल करेगा। उन्होंने आह्वान किया कि लक्ष्य के प्रति कटिबंध होना होगा। नदी से यही सबक ले कि लक्ष्य से पहले रुकना नहीं है। दुनिया से ज्ञान लेना है लेकिन अपनी परंपराओं और संस्कृति को छोड़े बिना।
मौके पर परमार्थ निकेतन के स्वामी चीदानंद जी महाराज ने कहा कि स्वयं को साधना ही साधना है।आध्यात्म और साइंस के बीच चल रहे टकराव पर उन्होंने चन्द्रयान का जिक्र किया और कहा कि बाहरी स्पेस के लिए साइंस चाहिए लेकिन आंतरिक स्पेस के लिए अध्यात्म जरुरी है।सनातन पर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि सनातन सर्वे भवन्तु सुखिनः का संदेश देता है। यह समरसता का रस देता है। सबको रस देता है। समुची दुनिया सनातन की तरफ आशा भरी निगाह से देख रही है। भारत की महिमा विश्व में गूंज रही है। गंगा पर उन्होंने कहा कि इसका गंगत्व दिव्य है।उन्होंने गंगा समग्र का आह्वान किया कि हर गांव के तालाब को ठीक कर दे,यह बहुत बड़ा काम होगा। गंगा समग्र को सरकार के साथ सेतु बनाकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गंगा रहेगी तो भारत रहेगा। मोदी सरकार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत महाभारत नहीं, महान भारत के रास्ते पर बढ़ रहा है।

राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ने कहा कि सभी जल तीर्थों को निर्मल किए बिना गंगा को निर्मल नहीं किया जा सकता। गंगा का काम बड़ा है इसमें समय लगेगा लेकिन लक्ष्य को संधान के पहले विश्राम नहीं लेना है। महामंत्री आशीष गौतम ने गंगा समग्र की शुरुआत की पृष्ठभूमि बताई। उन्होंने कहा कि छोटे कालखंड में इसका स्वरूप आज विशाल हो गया है। यह 15 आयामों के माध्यम से गंगा को निर्मल बनाने के महाअभियान में जुटा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह ‘लालू बाबू’, ने की। इस मौकें पर राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष बाबूजी, परमार्थ निकेतन आश्रम के स्वामी चिदानंद जी महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य शिवनारायण, राष्ट्रीय महामंत्री आशीष गौतम, राष्ट्रीय मंत्री रामाशंकर सिन्हा, अवधेश कुमार गुप्ता दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संजय चतुर्वेदी उपस्थित थे। इसके अलावा 16 प्रान्तों के प्रांत संयोजक, प्रान्त प्रतिनिधि उपस्थित रहें। बैठक मंत्र गंगा समग्र दक्षिण बिहार संयोजक शंभू नाथ पांडे द्वारा किया गया।

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