जाति आधारित जनगणना पर पीएम की मुहर, एनडीए ने बताया ऐतिहासिक निर्णय : विपक्ष पर श्रेय लेने का आरोप




न्यूज़ विज़न। बक्सर
30 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाति आधारित जनगणना की मांग को स्वीकार करते हुए उस पर मुहर लगा दी। इसके बाद से राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। इस विषय पर शुक्रवार को एनडीए गठबंधन के सभी दलों के जिला अध्यक्षों की उपस्थिति में जिला अतिथि गृह में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुंतल कृष्णा और जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राम निहोरा प्रसाद यादव ने विस्तृत जानकारी दी।







भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुंतल कृष्णा ने बताया कि भारत में पूर्व वर्ष 1931 तक जाति आधारित जनगणना होती रही थी। इसके बाद यह प्रक्रिया रोक दी गई थी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे पुनः शुरू करने का निर्णय एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा की दिवंगत नेत्री सुषमा स्वराज ने अगस्त 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर जाति आधारित जनगणना की मांग की थी। उस समय सत्ता में शामिल दलों ने इसका विरोध किया था, लेकिन अब वही दल इसका श्रेय लेने की होड़ में लगे हैं।

वहीं जदयू पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राम निहोरा प्रसाद यादव ने कांग्रेस और तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि 2010 में भी जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब जाति आधारित सामाजिक शैक्षणिक सर्वेक्षण हुआ था। उस समय एनडीए ने आधारित जनगणना की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस ने इसे नहीं करवाया। आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कदम उठाया है, तो कांग्रेस और राजद इसे अपना बताने की कोशिश कर रहे हैं, जो महज पाखंड है। उन्होंने यह भी कहा कि 2020 में बिहार सरकार ने केंद्र सरकार की सहमति से जाति आधारित सर्वेक्षण कराया था, जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लागू किया था। उस समय तेजस्वी यादव सरकार में नहीं थे, फिर भी वे अब उसका भी श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रेस वार्ता में जदयू जिला अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह, भाजपा जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश भवन, लोजपा (रामविलास) के जिला अध्यक्ष अखिलेश कुमार समेत एनडीए के सभी घटक दलों के जिला अध्यक्ष उपस्थित रहे। सभी ने इस निर्णय का स्वागत किया और इसे सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम बताया।
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