सखि हे आजु फुलवरिया सुहावन लागे, अति मनभावन लागे हे, फुलवरिया में बिहरत अवध किशोर
हनुमत धाम कमरपुर गांव में 17वें सद्गुरुदेव पुण्य स्मृति महोत्सव के चौथे दिन नगर दर्शन, फूलवारी लीला तथा धनुष यज्ञ का किया वर्णन




न्यूज़ विज़न। बक्सर
सदर प्रखंड के हनुमत धाम कमरपुर गांव में आयोजित 17वें सद्गुरुदेव पुण्य स्मृति महोत्सव के चौथे दिन कथा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए पूज्य हयग्रीवाचार्य जी महाराज ने नगर दर्शन, फूलवारी लीला, तथा धनुष यज्ञ लीला का सामासिक विधि से वर्णन किया।








मामाजी महाराज के पदों की व्याख्या और गायन करते हुए उन्होंने सखि गलि गलि घूमेले अवध के किशोर, इनके देखे खातिर मिथिला में मचल बाटे शोर। फूल फेंकि जा त ताके लगिहन हमनी के ओर गाकर श्रीराम विवाह और पूज्य गुरुदेव की याद दिला दिया। सभी श्रोता अश्रुपूरित भाव में डूबकर मामाजी महाराज के याद में डूब गए। जिया बैसि रहूँ सिया की डगरिया मिथिला नगरिया ना। सखि हे आजु फुलवरिया सुहावन लागे, अति मनभावन लागे हे, फुलवरिया में बिहरत अवध किशोर, माली मालिनियों के संवाद का जीवंत चित्रण कथावाचक महाराज के द्वारा किया गया। शिव और शक्ति ही पुष्प वाटिका में सीताराम जी को मिलाने का माध्यम बने। श्रीराम चरित मानस के प्रसंग को लेते हुए कहा कि कथा से जीव को शांति की प्राप्ति होती है। श्रीसीया जू के निवेदन पर विनय प्रेम बस भयी भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी। मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बर सहज सुंदर सांवरो, करूणानिधान सुजान सील सनेह जानत रावरो। कहकर माँ पार्वती की करूणा दया का वर्णन किया।



धनुष यज्ञ की चर्चा करते हुए कहा कि श्रीराम सहज, सरल, सम्यक् हैं इसलिए धनुष भी उनके लिए वैसी ही हो गयी। जबकि अन्य राजागण, अहंकारी, अत्याचारी थे सो धनुष उनके लिए कठोर और भारी हो गयी। तत्पश्चात शतानंद जी गदगद होके सिय के आयसु दिहले आव आव हो सिया। प्रभु के जयमाला पहिराव आव आव हो सिया। हजारों श्रोताओं के बीच आज की पावन कथा संपन्न हुई। श्री सद्गुरुदेव पुण्य स्मृति महोत्सव के चतुर्थ दिन मामाजी महाराज के प्रथम शिष्य श्रीराम चरित दास जी ने आजु की दिवस मैं जाऊँ बलिहार कहकर रैदास जी को याद किया। कार्यक्रम में महाराज श्री के परिकर समेत कमरपुर पंचायत के सभी गांवों के भक्त गण भाग ले रहे हैं।

