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आंगनबाड़ी केंद्रों और सरकारी स्कूली बच्चों में टीबी के लक्षणों की पहचान करेगी आरबीएसके की टीम

जिले में एक से 14 वर्ष तक के बच्चों में टीबी की पुष्टि होने पर सतर्क हुआ डीटीसी, टीबी मरीज बच्चों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पर भी किया जा रहा फोकस

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान और टीबी मुक्त पंचायत पहल के तहत जिले को टीबी मुक्त बनाने का कार्य जोरों पर है। लेकिन, बक्सर जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए अभी भी कई कार्य किए जाने है। जिसको लेकर जिला यक्ष्मा केंद्र तत्पर है। जिला यक्ष्मा केंद्र अब तक मिले टीबी मरीजों की रिपोर्ट का अध्ययन कर उस आधार पर टीबी उन्मूलन अभियान चलाने की तैयारी में है। इसके लिए विशेष रणनीति बनाई गई है। जिसपर छठ पूजा के बाद अमल किया जायेगा। जिला यक्ष्मा केंद्र से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस साल एक जनवरी से 23 अक्टूबर तक जिले में कुल 2670 मरीज इलाजरत हैं। जिनमें नए टीबी मरीजों की संख्या 2254, वैसे मरीज जो दोबारा टीबी संक्रमण से पॉजिटिव हुए उनकी संख्या 201 और टीबी के पुराने 158 मरीज जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई वो शामिल हैं। वहीं, जिले के 57 टीबी मरीज में ड्रग रेजिस्टेंस हैं उनका भी इलाज चल रहा है।

 

 

टीबी मरीजों में पुरुषों की संख्या अधिक :

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, जिले में 2670 टीबी मरीजों में पुरुषों की संख्या अधिक है। वहीं, मरीजों के उम्र और वर्ग की बात करें तो शून्य से 14 वर्ष तक के 98 बच्चों में 45 लड़के और 53 लड़कियां शामिल हैं। 15 से 30 वर्ष तक के आयु 1076 युवाओं में 558 युवा और 518 युवतियां टीबी के मरीज हैं। 31 से 45 वर्ष तक के 627 मरीजों में 413 पुरुष और 214 महिलाएं शामिल हैं। 46 से 60 वर्ष उम्र तक के 504 मरीजों में 357 पुरुष और 147 महिलाएं इलाजरत हैं। साथ ही, 60 व उससे अधिक उम्र के बुजुर्ग 362 मरीजों 274 पुरुष और 88 महिलाओं का इलाज चल रहा है।

आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में लगेगा जांच शिविर :

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. पांडेय ने कहा कि 14 साल तक के बच्चों में टीबी का प्रसार काफी चिंताजनक है। आंगनबाड़ी और स्कूलों में बच्चे समूह में रहते हैं। जिसके कारण टीबी संक्रमण के प्रसार की संभावना काफी अधिक है। जिसको देखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में विशेष शिविर लगाया जाएगा। इसके लिए सिविल सर्जन डॉ. एससी सिन्हा के साथ बैठक की जाएगी। जिसमें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अधिकारियों और चिकित्सकों के अलावा सभी सीडीपीओ को शामिल किया जायेगा। जिसके बाद आंगनबाड़ी केंद्रों और सरकारी स्कूलों के बच्चों, छात्र और छात्राओं में टीबी के लक्षणों की जांच के लिए विशेष शिविर लगाने पर चर्चा की जाएगी। साथ ही टीबी के किशोर मरीजों के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पर भी बल दिया जायेगा। ताकि, समय रहते टीबी के संभावित मरीजों का इलाज शुरू किया जा सकेगा।

अंतरराष्ट्रीय मधुमेह दिवस पर भी चलेगा विशेष अभियान :

सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया, सरकार के लक्ष्य के अनुरूप 2025 तक बक्सर जिले को टीबी मुक्त बनाना है। इसके लिए हर संभव  प्रयास किया जायेगा। उन्होंने बताया कि 21 नवंबर तक जिले के सरकार स्वास्थ्य संस्थानों पर अंतरराष्ट्रीय मधुमेह दिवस मनाया जायेगा। इस क्रम में लोगों में डायबिटीज की जांच की जाएगी। साथ ही, डायबिटीज के मरीजों में टीबी की भी जांच की जाएगी। क्योंकि, डायबिटीज मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। जिससे उनमें टीबी संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए सभी एमओआईसी को यह सख्त निर्देश दिया गया है कि वे डायबिटीज के मरीजों में टीबी की जांच का प्रतिदिन अनुश्रवण करेंगे। ताकि, कहीं से कोई चूक न हो सके।

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