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17 वर्षों तक कड़ी मेहनत के बाद ओम प्रकाश लाल बने एसडीएम, सरकारी नौकरी और परिवार की जिम्मेवारी निभाते पायी कामयाबी  

14 वर्षों की आयु में पिता का सर से उठ गया था साया, माँ के साथ तीन बहनों की थी जिम्मेवारी 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

सफल जिंदगी में वही होता है, जो कभी न अपना हौसला खोता है। सफलता मूल वही जनता है, जो जिंदगी की राह में गिरकर उठता है। कभी भी गिर जाओ पर हार न मनो, जीवन में अपना लक्ष्य क्या है वह पहचानों। यह पंक्तियां शनिवार को 67 वीं बीपीएससी की रिजल्ट आने के बाद  सच साबित कर दिखाया है जिले के बक्सर नगर क्षेत्र के सारिमपुर मोहल्ले के रहने वाले ओमप्रकाश लाल ने। इनका 67 वीं बीपीएससी की परीक्षा में 17वां रैंक हासिल कर एसडीएम पद के लिए चयन कर लिए गया है। वही चयन होने के बाद बधाइयों का ताँता लग गया साथ ही इनकी कहानी भी काफी संघर्ष भरी रही है।

मित्रो व् छात्रों द्वारा किया गया सम्मानित

पथ निर्माण विभाग में अस्सिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर के पद पर है कार्यरत

ओमप्रकाश ने बातचीत के दौरान बताया की यह परीक्षा पथ निर्माण विभाग में असिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर के पद पर रहते हुए निकाला है। लेकिन अपने जीवन काल में कभी इन्होंने हार नहीं माना है। अपने जीवन संघर्ष के बारे में बताते हुए कहा कि प्रारंभिक पढ़ाई के दौरान ही 14 वर्ष की अवस्था में पिता मकसूदन प्रसाद केशरी इस दुनिया को छोड़कर चल बसे थे।  हालांकि उनकी इच्छा थी की वह पढ़कर कोई बड़ा ऑफिसर बने। वर्ष 1995 में एमपी हाई स्कूल बक्सर से मैट्रिक की परीक्षा पास कर इंटर की पढ़ाई एम वी कॉलेज बक्सर से किया। इग्नू बोधगया से बीएससी मैथ की पढ़ाई पूरा किया। जिसके के बाद भी इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। घर पर ही कड़ी मेहनत से पढ़ाई कर अपनी सफलता के राह को चुनने में लगे हुए थे। इस दौरान उन्होंने चार बार पीसीएस की परीक्षा भी निकाला जो अंतिम दौर में असफल हो गये।  फिर भी इन्होंने अपने पिता के सपने को टूटने नहीं दिया लगातार अध्ययन करते रहे।

 

पत्नी व् बच्चो के साथ ओम प्रकाश

2012 में यूपीएससी में भी पायी सफलता 

बिना किसी का सहयोग लिए मेहनत के बल पर इन्होंने वर्ष 2012 में देश के सबसे बड़े प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा यूपीएससी में भी सफलता पाई थी। प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा में सफल होने के बाद इंटरव्यू की परीक्षा में असफल हो गए। इस असफलता ने अंदर से टूटने लगा था।  फिर भी हार नहीं माने और वर्ष 2013 में बीपीएससी में भी इन्होंने सफलता परंतु इंटरव्यू में असफल हो गए और मन ही मन लक्ष्य बना लिया जबतक सफल नहीं होंगे पढ़ाई जारी रहेगी। और 4 बार युपीपीसीएस भी निकल चुके थे और दो बार बीपीएससी लेकिन इंटरव्यू में असफल हो जाते थे।

 जून 2023 में माँ का हुआ निधन पत्नी ने दिया साथ  

ओमप्रकाश बताते है की अपने परिवार में तीन बहनों में इकलौते भाई है। जिसकी पूरी जिम्मेवारी इन्हीं के कंधे पर थी। दो बड़ी बहन एवं एक छोटी बहन की जिम्मेदारियो को इन्होंने बखूबी निभाते हुए परीक्षा के दम पर परिवार के आर्थिक हालात को भी पटरी पर लाने के लिए घर पर कोचिंग देने लगे थे। वही हमारे मार्गदर्शन में दर्जनों छात्र इनकम टैक्स, सेल टैक्स, एसएससी सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर आज कई पदों पर कार्यरत है।  तबतक पथ निर्माण विभाग में असिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर के पद पर चयनित होने के बाद भोजपुर अंचल में कार्य करते हुए बक्सर में प्रतिनियुक्ति कर दी गयी थी। इस दौरान भी अपनी परीक्षा में लगे रहे. तब तक 23 जून 2023 में मां लीलावती देवी ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। एक बार फिर यह पूरी तरह से अकेले हो गए।  फिर हमारी पत्नी पूजा कुमारी ने इनका भरपूर सहयोग किया।

व्यक्ति को अपने जीवन में कभी असफल होने पर निराश नहीं होना चाहिए : ओम प्रकाश 

अपनी कड़ी मेहनत एवं लगन के बल पर पीछे ना मुड़कर देखने वाले ओमप्रकाश लाल की शादी 2015 पूजा कुमारी से होने के बाद इनकी 7 वर्षीय बेटी आध्या कुमारी एवं 5 वर्षीय बेटा कान्हा है। इन बच्चों की परवरिश के साथ पढ़ाई करते हुए इस बार की परीक्षा में सफलता हासिल कर एसडीएम पद के लिए चयनित कर लिए गए हैं। वही ओमप्रकाश की सफलता की कहानी अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है।  जो छात्र या तो पढ़ाई छोड़कर हमेशा के लिए कहीं दूसरा काम ढूंढ लेते हैं, या फिर उसे हमेशा के लिए अलविदा कह देते हैं. इन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में कभी असफल होने पर निराश नहीं होना चाहिए। कामयाबी के बाद बधाई देनेवाले में ऋषि निर्मल, संतोष यादव, बैकुंठ सिंह, डॉ राजकुमार, सौरव कुमार, प्रिंस सिवाय समेत अनेकों लोग घर पहुंच बधाई दे रहे है।

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