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प्रदेश नेतृत्व ने पार्टी की अस्मिता को गिरवी रखते हुए, सहयोगी दल का सेवक बन गया है : तथागत हर्षवर्धन

कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष तथागत हर्षवर्धन ने प्रदेश नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगा प्राथमिक सदस्यता से दिया त्याग पत्र 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष सह प्रदेश प्रतिनिधि तथागत हर्षवर्धन ने जिले के लगभग 50से अधिक पार्टी के समर्पित पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओ के साथ प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया है। जिसकी प्रति पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी एवं बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद को भी भेज दिए है। और कहा है की यह निर्णय मैंने गहन चिंतन एवं आत्ममंथन के बाद लिया है।

 

 

शुक्रवार को शहर के गोयल धर्मशाला में अपने समर्थको व पार्टी द्वारा उपेक्षित नेताओं के साथ प्रेसवार्ता आयोजित कर तथागत हर्षवर्धन ने कहा की मुझे इस बात का गर्व है की मै पीढ़ियों से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सिद्धांतो के साथ पार्टी की घोषित विचारधारा को आत्मसात कर पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया है।  किन्तु वर्तमान बिहार प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पार्टी के विपक्ष में होते हुए भी स्थानीय नीति, नियोजन नीति, पलायन, बेरोजगारी एवं विस्थापन जैसी जवलंत मुद्दों पर मूक है तथा कोई गंभीर प्रयास नहीं कर पार्टी की अस्मिता को ही गिरवी रख परजीवी बना दिया गया है।  पार्टी का कोई संगठनात्मक स्वरुप आज बिहार में शेष नहीं हैं और परिस्थितिवश आज पार्टी मात्र सहयोगी दल के सेवक की भूमिका का निर्वाह करने को अभिशप्त है।

 

उन्होंने कहा की मैंने अपना सामाजिक राजनीतिक जीवन बक्सर जिले को समर्पित किया है तथा पार्टी की जिला इकाई के अध्यक्ष के तौर पर अपना कार्य सर्वथा ईमानदारी से करने का प्रयास किया है। मेरे लिए यह घोर विषाद का विषय रहा कि जिले के चुने हुए प्रतिनिधि अपने क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं को लेकर लगातार मौन धारण किये रहते है।  विशेष तौर पर चौसा स्थित निर्माणाधीन थर्मल पावर स्टेशन से संबंधित किसानों का लगातार दो वर्षों से चले आ रहे धरना जिसके परिणाम स्वरूप क्षेत्र की शांति व्यवस्था लगातार प्रभावित रहती है।  जिसके निदान वो प्रभावित किसानों के दमन से उत्पन्न स्थिति का कोई संज्ञान नहीं लिया गया, ना ही प्रदेश नेतृत्व ने ही कोई ठोस कदम उठाया। इसके साथ ही उन्होंने कहा की बिहार प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व की स्वपोषित वो स्वहित की कार्यप्रणाली जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन सरोकार, किसान मजदूर वो युवा मित्रता तथा सामाजिक सौहार्द जैसे बुनियादी सिद्धांतो और विचारधारा के सर्वथा विपरीत है जिसके कारण राजनीति में रहने के अपने मुख्य उद्देश्य के प्रति न्याय कर पाने में असमर्थ हूँ।  जनहित में यह आवश्यक है की जनता की आवाज को जोरदार तरीके से बुलंद किया जाए की जन सरोकार के विषय का समाधान उचित तरीके से हो सके जो वर्तमान बिहार प्रदेश के नेतृत्व में संभव नहीं है।

 

त्यागपत्र देने वालों में  राहुल आनंद, अंशु कुमार, आशीष तिवारी, राघवेंद्र नाथ मिश्र, मणिशंकर पांडेय, पूर्व विधायक श्रीकांत पांडेय, बजरंगी मिश्रा, पूर्व महिला जिलाध्यक्ष साधना पांडेय, धनजी पांडेय, चितरंजन प्रसाद, ललन मिश्रा, मो. सलीम, डॉ जितेंद्र कुमार पाठक, ब्रजेश कुमार पाठक, मनोज कुमार ओझा, करुणानिधि दुबे, आशुतोष कुमार ओझा समेत अन्य शामिल है।

 

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