माँ काली बक्सर नगर वाली के वार्षिक पंचित पूजा में उमड़ी नगरवासियो की भीड़, परिवार के सुख शांति के लिए मांगी मन्नत




न्यूज़ विज़न। बक्सर
मां काली की पंचित पूजा शुक्रवार जेष्ठ मास की शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को नगर के बाईपास रोड स्थित बुढ़िया काली मंदिर का वार्षिक पूजन उत्सव मनाया गया। पूजा को लेकर नगर के लोगों में काफी उत्साह था। जिसके चलते वार्षिकोत्सव पूजन पर अहले सुबह से देर शाम श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।








अहले सुबह से ही श्रद्धालु महिलाएं व पुरूष मंदिर परिसर पहुंच मातारानी के दरबार में जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना कर रहे थे। पंचित पूजा को लेकर समिति द्वारा मंदिर को आकर्षण ढंग से सजाया गया था। जैसे-जैसे दिन चढ़ते गया भक्तों की भीड़ बढ़ती गई। इस दौरान मंदिर प्रबंधन और प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी। मंदिर के पुजारी ने बताया की सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक माता रानी का जलाभिषेक चला। क्यू जिसके पश्चात पंचित पूजा आरंभ हुआ। इस दौरान मां का भव्य श्रृंगार किया गया तत्पश्चात पूजन कार्य का दौर शुरू हुआ जो लगभग 3 बजे तक चला। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर महिला और पुरुष भक्तों से खचाखच भरा हुआ था। हर घर की महिलाएं एक हाथ से गेहूं की आटे को गूंथ कर उस पर सात लवंग डाल रोटी तैयार करती है। मां काली मंदिर पहुच कर लोगों द्वारा कच्ची रोटी का प्रसाद चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से मां प्रसन्न होती है और घर परिवार में खुशहाली आती है।



वही समिति के कोषाध्यक्ष अशोक सर्राफ ने बताया कि भक्तों के द्वारा पूजन और उसके बाद महाआरती का आयोजन किया गया। इस दौरान विधिवत पूजा अर्चना करने से श्रद्धालुओं की मन्नतें मांगी अपने परिवार के सुख शांति के लिए प्रार्थना करते है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि मनोकामना पूर्ण करने वाली मां काली का मंदिर बक्सर नागर वाली के रूप में प्रसिद्ध है। मां काली मंदिर की स्थापना छोटी मंदिर के रूप में हुई थी। पुनः जब छोटा पड़ने लगा तो समिति के लोगों द्वारा भव्य मंदिर बनवाया गया। मां के ऊपर भक्तों की अपार श्रद्धा के कारण जैसे-जैसे शाम होता गया मेला भव्य रूप लेता चला गया। सुबह दोपहर व शाम को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां की भव्य आरती की गई। इसके साथ हीं श्रद्धालु कतारबद्ध होकर मां के दरबार में मत्था टेक अपने जीवन के खुशहाली की मन्नत मांगी। मां काली के दरबार में शहर सहित आस-पास के लोग महिला-पुरूषों की अपार भीड़ उमड़ी और भक्त श्रद्धा के साथ मां का दर्शन करते रहें।
वहीं मंदिर के सदस्य बसंत कुमार ने बताया कि मंदिर का इतिहास पुराना है। जब इस नगर का विकास नहीं हुआ था, तब नीम के पेड़ के नीचे पिंड के रूप में देवी की पूजा की जाती थी। इसलिए इनको बुढ़िया काली मां भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि पूर्वजों का कहना है कि मंदिर का कोई प्रमाण नहीं है कि कब यहां पर बना था। वहीं मान्यता है कि नगर पर जब भयंकर बीमारी का प्रकोप आया था, तब लोगों ने बुढ़िया काली मां से गुहार लगाई थी। जिसके बाद महामारी से नगर को छुटकारा मिला था। बुढ़िया काली मां के साथ-साथ नगर माता के रूप में भी यह मंदिर विख्यात है।
मंदिर के आसपास दर्जनों श्रृंगार, पूजा सामग्री, चाट, गोलगप्पे इत्यादि नाश्ता की दुकानें सजी हुई थी। जहां महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। वही मंदिर समिति द्वारा श्रद्धालुओं को जूता चप्पल रखने के लिए भी विशेष व्यवस्था किया गया था। मौके पर समिति के अध्यक्ष प्रदीप राय, सचिव शिवजी खेमका, वार्ड 18 के वार्ड पार्षद प्रतिनिधि विनोद माली, चीकू उपाध्याय, बबलू उपाध्याय, अवकाश उपाध्याय, बिट्टू केसरी ,राम जी अग्रवाल, बड़े वर्मा, आदित्य कुमार, रेणु अग्रवाल, संजय चौधरी, बिहारी केसरी, लाल जी वर्मा, विनोद वर्मा, दीपक जायसवाल, बिंदा वर्मा, मनोज कुमार,सुनील कुमार, निक्की वर्मा मानिकचंद्र वर्मा, संतोष केसरी, अभिषेक वर्मा, भोला सोनी, गोपी वर्मा, संदीप वर्मा, अमन वर्मा, रवि साह, पहाड़ी वर्मा, सन्नी वर्मा, किसान वर्मा, अनूप वर्मा, प्रकाश केशरी राजकपूर डिंपल विवेक वर्मा अनिल पटवा आकाश वर्मा रवि वर्मा राम जी अग्रवाल राजा गुड्डू वर्मा, विशाल वर्मा, तरुण वर्मा, राजू प्रसाद केशरी, अमन मिश्रा, लालू, पंकज वर्मा, विट्टू मिश्रा, मिट्ठू वर्मा, अनूप पटवा, सत्यंम, छोटू, राजा वर्मा, दीपक केशरी, पिंटू केशरी,अनूप गुप्ता, प्रमोद वर्मा, मुन्ना केशरी के अलावे समिति के अन्य सदस्यों ने पूरी व्यवस्था को तत्परता से संभालते दिखे।

