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डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल का 144वीं जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

नगर के पिपरपाती रोड स्थित एक सभाकक्ष में जायसवाल सर्व सभा द्वारा बुधवार को कुल गौरव अखण्ड भारत के महामानव, साहित्यकार, इतिहासकार, पुरातत्ववेता, प्राचीन लिपि मर्मज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, बहुभाषी विद्वान, पाटलिपुत्र अखबार के संपादक डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल का 144वीं जयंती समारोह जिलाध्यक्ष प्रदीप जायसवाल की अध्यक्षता में धूमधाम से मनाया गया।

 

जयंती समारोह में सर्वप्रथम डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल के तैल्य चित्र पर माल्यार्पण जायसवाल समाज के उपस्थित सभी सदस्यों द्वारा किया गया।अध्यक्ष द्वारा कुल गौरव डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल के जीवन पर संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि इनका जन्म 27 नवंबर 1881 को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में एक संभ्रांत परिवार में हुआ था।उनकी प्रारंभिक शिक्षा मिर्जापुर में लंदन मिशन हाई स्कूल से एंट्रेंस की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास किये थे।इसके बाद बनारस के क्वीन्स कॉलेज से स्नातकोत्तर किये। वर्ष 1906 में विलायत जाकर ऑक्सफोर्ड  यूनिवर्सिटी के जीसस कॉलेज से चीनी भाषा का अध्ययन किया और वर्ष 1909 में आनर्स के साथ इतिहास में एम.ए.की उपाधि प्राप्त की और वर्ष 1910 में लिंकन इन से बैरिस्टरी पास किये थे। वर्ष 1910 में भारत लौट आए। उसी वर्ष कलकत्ता विश्वविद्यालय में उन्हें अर्थशास्त्र और इतिहास का प्रोफेसर नियुक्त किया था। बाद में उन्होंने कलकत्ता के हाईकोर्ट में वकालत प्रैक्टिस शुरू कर दिए। 04 अगस्त 1937 में उनका निधन हो गया। इनके निधनं उपरांत राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने हैदराबाद से प्रकाशित होने वाले एक पत्रिका ‘कल्पना’ में लिखा था कि अब जब मैंने सूर्य, चन्द्रमा, वरुण, कुबेर, इन्द्र, बृहस्पति,शमी और ब्राह्मणी के प्रेम  व प्रोत्साहन का रसास्वादन किया तो  स्पष्ट है कि इसमें से कोई भी डॉ काशी प्रसाद जायसवाल जी के समान नहीं है।

 

डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल 35 भाषाओं के ज्ञाता थे : सुरेश संगम 

जायसवाल सभा के सलाहकार सुरेश प्रसाद जायसवाल संगम ने डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉक्टर जायसवाल एक महान विद्वान विभूति थे जिन्होंने भारतीय सभ्यता और संस्कृति को विश्व में चमका दिया था। रूस में डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल मार्ग है और जर्मनी एवं फ्रांस में उनकी आदमकद मूर्तियां स्थापित हैं। बिहार सरकार ने वर्ष 1950 में डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान की स्थापना की। सभा के संरक्षण लक्ष्मण प्रसाद जायसवाल ने डॉ काशी प्रसाद जायसवाल जी के बारे बताया कि वे एक सफल अधिवक्ता थे उनके व्यक्तित्व की व्याख्या उनके रचनाकारों और विद्वानों ने तरह तरह से की है। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने उन्हें ‘ घमंडाचार्य’ और ‘बैरिस्टर साहब’ की उपाधि दी। रामचन्द्र शुक्ल ने ‘कैटाधीश’ कहा। प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने उन्हें सोशल रिफार्मर का उपाधि दी। पंडित राहुल सांकृत्यायन ने उन्हें अपना गुरु माना था।

सभा के अन्त में महासचिव संजय चौधरी ने कहा कि डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल का जन्मदिन पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है। डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल को भारत के बुद्धिजीवियों ने भारत रत्न दिये जाने की मांग किया जा रहा है। डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल सुप्रसिद्ध इतिहासकार, प्रख्यात साहित्यकार, पुरातत्ववेता, शिक्षाविद्, अप्रतिम देशभक्त और महान अधिवक्ता थे। भारत सरकार ने वर्ष 1981 में डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल की जन्म शताब्दी पर लिफाफे और डाक टिकट जारी किया गया था। अब उनको भारत रत्न नवाजा जाने का बारी है। आज उनके स्मरण करने का दिन है। उनकी मेघा और रचना शीलता के प्रति विनती हो उन्हें याद करने का दिन है। देश के महान विभूतियों को असमय खोया है स्वामी विवेकानंद ने कहा उनमें से डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल जी एक है जो देश को मानव समाज सभ्यता को नयी दिशा दे सकते थे। उनके जन्मदिन पर हम सभी सादर नमन करते हैं। सभा में रविन्द्र जायसवाल, विजय जायसवाल, वेद प्रकाश जायसवाल, अशोक जायसवाल, प्रकाश चन्द्र जायसवाल, ठाकुर जी जायसवाल, बबलू, अरविन्द कुमार जायसवाल बंटी, यश कुमार जायसवाल इत्यादि मौजूद रहे ।

 

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