भविष्य को बचाने के लिए पौधारोपण जरूरी, अपने घर में हर अवसर पर पौधारोपण कर जलवायु परिवर्तन को रोकें : प्रो हृदय नारायण
स्मृति शेष कंचन देवी के छठवीं पुण्यतिथि पर जलवायु परिवर्तन जीवन के लिए खतरे की घंटी विषय बिंदु पर हुई परिचर्चा




न्यूज़ विज़न। बक्सर
शहर के इटाढ़ी रोड स्थित विश्वनाथ गार्डन परिसर में आसा पर्यावरण सुरक्षा, ज्ञान विज्ञान समिति एवं उर्मिला सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में जलवायु परिवर्तन जीवन के लिए खतरे की घण्टी विषय बिंदु पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता जितेंद्र कुमार सिंह एवं संचालन सावित्री सिंह ने किया। स्मृति शेष कंचन देवी के छठवीं पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन जिला कृषि पदाधिकारी अविनाश शंकर, कृषि विज्ञान केंद्र समन्वयक डॉ देवकरण, डॉ सुदय प्रसाद, पीपल नीम तुलसी के संस्थापक डॉ धर्मेंद्र, पूर्व विधायक प्रो हृदय नारायण सिंह, पूर्व प्राचार्या हिंगमणि देवी, डॉ आर.के सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन व कंचन देवी के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया।







परिचर्चा का विषय परिवर्तन निर्मल सिंह शिक्षाविद द्वारा पर्यावरण बचाने पर जोर दिया। विषय बिंदु पर चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जलवायु में हो रहे लगातार परिवर्तन से पूरी दुनिया त्रस्त है। ग्लोबल वार्मिंग व ग्रीन हाउस प्रभाव से प्रदूषण का अधिक प्रभाव है। बढ़ती आबादी से खेती का घटता आकार एवं जंगलों की अंधाधुंध हो रही कटाई से पर्यावरण पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। भविष्य में धरती को बचाने के लिए अपने जीवन में हर व्यक्ति को कम से कम पांच पेड़ लगाना होगा। बढ़ते तापमान के खतरे को अब हम महसूस कर रहे है। पिछले वर्ष तापमान 44 डिग्री के पार होने पर एसी भी काम नहीं कर रहा था। ऐसे में हमें जगने की जरूरत है। जीव जंतु वैज्ञानिक डॉ सुदय प्रसाद ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से खाद्य उत्पादन में कमी, पानी की कमी, समुद्र के बढ़ रहे स्तर और वन्यजीवों का विलुप्त होना चिंतनीय है। एक आंकड़े के अनुसार 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ जाएगा। भूमिगत जल में आर्सेनिक के बढ़ते मात्रा से कैंसर जैसी बीमारी बढ़ने का खतरा ज्यादा है। बन बकरी अथार्त घड़रोज पर शोध जारी है। इसके गोबर में कई आवश्यक पोषक तत्व है जो फसलों के लिए काफी फायदेमंद है। अगर इसकी संख्या विलुप्त होगी तो धरती बंजर होगी। इसके दूध से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की दवा बनाई जा सकती है।

जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि अविनाश शंकर ने कहा कि अपने जीवन को सुरक्षित करने के लिए खाद्य पदार्थों को बचाना जरूरी है। पूर्व विधायक प्रो हृदयनारायण सिंह ने कहा कि भविष्य को बचाने के लिए हम सभी को पौधा रोपण करना जरूरी है। संकल्प लेते हुए अपने घर में हर अवसर पर पौधारोपण कर जलवायु परिवर्तन को रोकें। वैज्ञानिक डॉ हरगोविंद ने कहा कि बढ़ते तापमान से फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। हर मौसम में होने वाली फसलों पर इसका असर दिख रहा है। नदियों के प्रदूषण से मानव जन जीवन पर भी प्रभाव डाल रहा है। वैज्ञानिक डॉ देवकरण ने कहा कि हम धान के कटोरे के क्षेत्र में है। कई प्रजाति के पौधे को उगाते है। जिसमें हजारों लीटर पानी की जरूरत होती है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन से हमारे जीवन को कई रूपों में प्रभावित कर रहा है। विज्ञान के बढ़ते आविष्कार के साथ ही खाद्यान का उत्पादन तो बढ़ा लेकिन गिरता भू जलस्तर व मिट्टी की गुणवत्ता में कमी खतरे की घण्टी साबित हो रही है। इनसे बचने के लिए जगने की जरूरत है। प्राचीन जल स्रोत तालाब पोखरा को बचाकर वर्षा जल का संचयन कर धरती को बचायेंगे।
पूर्व मुखिया मकरध्वज सिंह विद्रोही ने कहा कि किसान अपने खेत में पराली जलाने के साथ पेड़ पौधों को जला देते है। इससे कई जीव जंतुओं का आशियाना ही खत्म हो जाता है। हमें जीवों को भी बचाने की जरूरत है। कई नदियां अपना दम तोड़ रही है। जिसे बचाने की जरूरत है। अख्तर आह्वान ने कहा कि आज किसान अपने खेत मे रासायनिक खाद व दवा का उपयोग कर रहे है। धरती जहर हो रही है। जंगलों को कौन खरीद रहा है? इसके जिम्मेवार हमारी सरकार है। जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए हमें अपने कर्तव्यों को निभाना होगा।
इस मौके पर बबन सिंह, अमित पांडेय, धनंजय मिश्र,डॉ मनीष कुमार शशि, सुनीता कुमारी, अशोक कुमार सिंह, रामाकांत राम, विवेक कुमार, चंदन कुमार, रोहित कुमार, राजशेखर , भरत मिश्रा, शिव प्रसाद कुशवाहा, लालबहादुर सिंह, रामाकांत सिंह, सबिता कुमारी, उषा मिश्रा, प्रतिमा सिंह, आशा सिंह, बृज बिहारी सिंह, ललन सिंह, विजय प्रकाश सिंह के अलावा अन्य लोगों ने भी पर्यावरण बचाने का संकल्प लिया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में आशा पर्यावरण सुरक्षा के राज्य संयोजक विपिन कुमार, ज्ञान विज्ञान समिति के सचिव अनिता यादव व उर्मिला सेवा संस्थान के सचिव पंकज कमल का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

