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राम को प्रभु श्रीराम बनाया बक्सर ने फिर भी है उपेक्षित, विश्व पटल पर पहचान दिलाना एकमात्र उद्देशय : राजकुमार चौबे 

मंत्री, सांसद, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों ने बक्सर को सिर्फ लूटने का कार्य किया

न्यूज़ विज़न।  बक्सर

बक्सर के सनातन संस्कृति को विश्व पटल पर पहचान दिलाना एकमात्र उद्देश्य है। बक्सर की भूमि अयोध्या से ज्यादा महत्व रखती है क्योकि राम का जन्म स्थल अयोध्या है लेकिन बक्सर आकर वे प्रभु श्रीराम बन गए क्योंकि उनकी यह कर्मभूमि है उक्त बातें बृहस्पतिवार को एनएच 922 स्थित केएफसी रेस्टोरेंट में प्रेसवार्ता के दौरान महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे ने कहा। उन्होंने कहा की मेरा एकमात्र उद्देश्य यहाँ की खोई हुई गरिमा को वापस लाना है। पंचकोसी यात्रा की विश्व में पहचान मिली है क्या ?

 

 

श्री चौबे ने बक्सर को उपेक्षित बनाने का ठीकरा यहां के नेतृत्वकर्ताओं के सिर फोड़ा। उन्होंने कहा कि यहां के सांसद हो या विधायक या फिर राज्य की सरकार, हर किसी ने बक्सर के सनातन संस्कृति को उपेक्षित किया है। जिला जब नेतृत्व विहीन है तो इसका सांस्कृतिक विकास कैसे संभव है। यहां जो भी आता है अपना पेट भरता है। बाहर से आये लोग यहां के लिए कुछ नहीं करते। कोई पूछने वाला नहीं कि बक्सर में यह क्या हो रहा। ऐसे नेतृत्वकर्ताओं कारण ही बक्सर का अभी तक संस्कृति विकासित नहीं हो पाया।

 

 

हम यहां के लोगों के स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रहे हैं। छह साल से इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं। फिलहाल कोई मेरी राजनीतिक इच्छा नहीं है। सभी पार्टी के लोग बक्सर को छला है। वही उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थल के पास मुर्गा-मीट की दुकान लगाना गलत है। इतने दिन में हमें सफलता मिली है। अयोध्या के तर्ज अपने बक्सर का विकास करना चाहते हैं। मौके पर फाउंडेशन के शाहाबाद संयोजक रविराज, विश्वामित्र सेना के जिलाध्यक्ष कृष्णा शर्मा, राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक अशाेक उपाध्याय,  अनिल राय, अभिमन्यु राय, अभिषेक राय मौजूद थे।

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