रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है, जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं : आचार्य रणधीर ओझा




न्यूज़ विज़न । बक्सर
जिले के इटाढ़ी प्रखंड अंतर्गत बिझौरा गॉव में दुर्गा पूजा समिति बिझौरा के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन भक्तमाली मामाजी के कृपापात्र आचार्य श्री रणधीर ओझा ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रासलीला का वर्णन किया।
उसके माध्यम से उनके ह्रदय की पीड़ा को देखकर भगवान कृष्ण प्रकट हो गए और रास घटित हुआ। महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते है। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं,जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है।
आचार्य श्री ने कहा की भागवत पुराण में कहा गया है कि जो कोई भी ईमानदारी से रासलीला को सुनता है या उसका वर्णन करता है वह कृष्ण की शुद्ध प्रेमपूर्ण भक्ति को प्राप्त करता है।









