भगवान शिव परमतत्व परमात्मा और परम ज्योति है, विष्णु और ब्रह्मा उनसे उत्पन्न हुए हैं : आचार्य रणधीर ओझा




न्यूज़ विज़न। बक्सर
सावन के पवित्र महीने में नगर के रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में सिद्धाश्रम विकास सेवा समिति द्वारा सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन मामा जी कृपा पात्र आचार्य श्री रणधीर ओझा ने भगवान शिव का स्वरूप और शिवलिंग की उत्पत्ति की कथा सुनाया। उन्होंने कथा का शुभारम्भ करते हुए कहा कि शिव पुराण में शिव अविनाशी, परब्रह्म ,निर्दोष, शिव सृष्टि के स्वामी, त्रिगुण, अलख ईश्वरों के ईश्वर सर्वश्रेष्ठ विशंभर और संहारकर्ता के रूप में वर्णन किया गया है। वे परमतत्व परमात्मा और परम ज्योति है। विष्णु और ब्रह्मा उनसे उत्पन्न हुए हैं। समस्त सृष्टि के आदि कारण सदाशिव को ही बताया गया है।









आचार्य श्री ने कहा कि शिवजी की सर्वदाता, व्यापकता और ईश्वर तत्व को सिद्ध करने के लिए शिव पुराण के अंतर्गत एक मनोहर कथा है। एक बार विष्णु जी और ब्रह्मा जी में इस विषय पर विवाद हो गया कि परमेश्वर कौन है ?? ब्रह्मा जी और विष्णु जी में कलह (युद्ध) प्रारंभ हो गया।यह देख देवता लोग शंकर जी के पास पहुंच गए। भगवान शंकर विष्णु और ब्रह्मा जी के मध्य में एक अति प्रकाशमान ज्योतिर्लिंग प्रकट कर दिए। ब्रह्मा और विष्णु जी दोनों लोग इसे देखकर अचंभित हुए और दोनों ने निश्चय किया कि जो कोई भी इस लिंक के अंतिम भाग को स्पष्ट करें वह ईश्वर है ब्रह्मा जी हंस बन कर लिंग के ऊपर गए और विष्णु जी वराह बनकर नीचे। बहुत दिनों बाद जब कुछ अंत पता नहीं चला तब विष्णु भगवान वापस आ गए। ब्रह्मा जी भी कुछ दिनों बाद आ गए। विष्णु जी से ब्रह्मा जी ने पूछा कि क्या अंत मिला? भगवान विष्णु ने नकार दिया। परंतु ब्रह्मा जी ने कहा कि मैंने छोर का पता लगा लिया। भगवान विष्णु ने कहा आप बड़े हैं आप की पूजा होगी इतने में उस लिंग से शंकर जी प्रकट हो गए। भगवान विष्णु ने प्रणाम किया। भगवान शंकर ने कहा कि आप सत्य बोले हो। इसलिए हमारे साथ साथ आप की भी पूजा होगी। लेकिन ब्रह्मा जी ने असत्य बोला है। उसी समय शिव जी के भृकुटी से भैरव जी प्रकट होकर ब्रह्मा जी के एक गर्दन को काट दिया। तब भगवान विष्णु ने कहा कि हे ब्रह्मा जी शिवजी जगत के हेतु हैं पुराण पुरुष परमेश्वर इन्हीं को कहते हैं। कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओ की काफी भीड़ उमड़ी हुयी थी।





