RELIGION

पंचकोशी परिक्रमा के तीसरे दिन श्रद्धालुओ ने की भार्गव सरोवर का परिक्रमा, प्रसाद स्वरुप ग्रहण किया चुड़ा दही 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

पंचकोसी परिक्रमा के तीसरे दिन सोमवार की सुबह श्रद्धालु तीसरे पड़ाव स्थल भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर के पहुंचे। जहां भगवान राम अपने यात्रा के तीसरे दिन भार्गव ऋषि के आश्रम पहुंचे थे। यहां भार्गव ऋषि ने श्रीराम को चूड़ा-दही खिलाया था। उसी मान्यता के अनुसार श्रद्धालुओं ने पूजा व परिक्रमा करने के बाद चूड़ा-दही का प्रसाद ग्रहण किया।

 

 

इसके पूर्व रविवार की रात श्रद्धालुओं ने नदांव में नारद सरोवर स्थित पड़ा पर रातभर भजन-कीर्तन किया। उसके बाद सुबह उठते ही सदर प्रखंड के भभुअर के निकले। एक कोस का सफर तय करने के बाद श्रद्धालु भार्गव ऋषि के आश्रम पहुंचे। वहां उन्होंने भार्गव सरोवर (लक्ष्मण सरोवर) में स्नान कर भार्गवेश्वर शिवलिंग की पूजा अर्चना की। उसके बाद साधु-संतों व श्रद्धालुओं ने सरोवर की परिक्रमा की। तत्पश्चात ठाकुर जी को भाग लगाने के बाद श्रद्धालुओं के बीच चुड़ा-दही के प्रसाद का वितरण किया गया। बसाव पीठाधीश्वर महंत अच्युतप्रपन्नार्चा जी महाराज ने बताया कि पंचकोसी परिक्रमा का चौथा पड़ाव शुक्रवार को नुआंव में होगा, जहां उदालक ऋषि के आश्रम में श्रद्धालु सत्तू और मूली प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे।


गंगापुत्र लक्ष्मी नारायण स्वामी द्वारा महर्षि विश्वामित्र के साथ राम लक्ष्मण की झांकी के साथ कराया गया परिक्रमा 

भभुअर में परिक्रमा के दौरान गंगा पुत्र लक्ष्मी नारायण स्वामी द्वारा परिक्रमा के दौरान भव्य महर्षि विश्वामित्र संग राम लक्ष्मण की झांकी निकली गयी थी। जिनके द्वारा परिक्रमा के पश्चात् स्वामी जी कुटिया पर आरती किया गया। तत्पशचात चुडा दही का प्रसाद ग्रहण करवाया गया . वही उन्होंने भभुअर का महत्व बताते हुए कहा की लक्ष्मण जी द्वारा अपने तीर से भार्गव सरोवर की स्थापना किया गया था।  वही उन्होंने कहा की पंचकोसी परिक्रमा से मन में शांति, सुख व घर में समृद्धि की प्राप्ति होती है।

भार्गव ऋषि द्वारा स्थापित शिवलिंग भर्गेश्वर महादेव की हुयी पूजा अर्चना 

परिक्रमा के दौरान समिति के अध्यक्ष व वसांव मठ के महंत अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज, उपाध्यक्ष व सीताराम विवाह आश्रम के महंत राजाराम शरण दास जी महाराज, सचिव डॉ रामनाथ ओझा समेत अन्य गणमान्य लोगों शामिल थे। परिक्रमा के शुरू होने से पहले संतों के मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया। इसी महत्व के तहत संतों के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने भार्गव सरोवर की परिक्रमा किये और भार्गव ऋषि द्वारा स्थापित भगवान शिव की पूजा-अर्चन किया। परिक्रमा में आगे से संत समाज उनके पीछे से हजारों की संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालुओं ने परिक्रमा किया। सरोवर के किनारे किनारे श्रद्धालुओं का परिक्रमा काफी मनमोहक दृश्य पैदा कर रहा था।

 मुनिवर के पानी की कमी को पूरा करने के लिए लक्ष्मण ने एक तीर के प्रहार से कर डाला  विशाल सरोवर का निर्माण 

समिति के सचिव डॉ. रामनाथ ओझा ने बताया कि भार्गव ऋषि के आश्रम पर जब भगवान राम पहुंचे, तो वहां संतों ने पानी की कमी की जानकारी राम को दी। मुनिवर के पानी की कमी को पूरा करने के लिए लक्ष्मण ने एक तीर के प्रहार से एक विशाल सरोवर का निर्माण कर डाला। इसलिए लोग इसे भार्गव सरोवर या लक्ष्मण सरोवर से जानते है। इस सरोवर में स्नान का अलग महत्व है।

मंदिर परिसर में रात भर श्रद्धालु महिलाओ ने किया भजन कीर्तन 

भभुअर पहुंचीं श्रद्धालु महिलाओं ने भगवान शिव का झाल व ढोल के माध्यम से भजन गायन किया। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर भक्त गीतों से गूंज उठा। मंदिर परिसर में अलग-अलग जगहों से आई महिलाएं भजन गायन में शामिल हुईं व घंटों भजन गायन का दौर चलता रहा। दूसरी ओर, ग्रामीण इलाकों के बीच होने के कारण पूजा के साथ ही लोग मेले का आनंद उठाने के लिए भी भारी संख्या में पहुंचे। दोपहर बाद आसपास के गांवों के लोग टूट पड़े थे। वहीं, पूजास्थल पर मेले में खानपान के सामान, बच्चों के खिलौने व शृंगार के सामान वाली दुकानों पर ज्यादा भीड़ थी।

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