डुमरांव की बेटी डॉ अर्चना ने इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर किया योगदान
डुमरांव स्थित महारानी उषारानी बालिका प्लस टू विद्यालय से किया था मैट्रिक




न्यूज विजन । बक्सर
डुमरांव की बेटी डॉ अर्चना कुमारी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतगर्त इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर बन जिले का नाम रोशन किया है। डॉ अर्चना डुमरांव नगर क्षेत्र के सफाखाना रोड निवासी व क्वार्क स्कूल के निदेशक राजबल्लभ सिंह व महारानी उषारानी बालिका प्लस टू की पूर्व प्राचार्या पुष्पा कुमारी की बेटी है। जिन्होंने 7 अगस्त को असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय में योगदान किया। जहां की प्राचार्या पूनम कुमारिया ने योगदान कराते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
बेटी की इस सफलता पर शिक्षा को प्राथमिकता देने वाली पुष्पा कुमारी की आंखे खुशी से भर आयी। वहीं परिवार के सदस्यों में संगीता कुमारी, डॉ प्रोफेसर शालिनी प्रकाश, विकाश कुमार ने शुभकामनाएं दी है। मां ने बताया कि प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा डुमरांव के ही न्यू सेंट्रल स्कूल से हुई है इसके बाद राजगढ़ डुमरांव स्थित महारानी उषारानी बालिका प्लस टू विद्यालय में कक्षा 8 से 10 वीं तक पढ़ी। जहां 2005 में प्रथम श्रेणी से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद सुमित्रा महिला महाविद्यालय डुमरांव से इंटर की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय से इतिहास में स्नातक करने के बाद वहीं से स्नाताकोत्तर की। इसके साथ ही उन्होंने नेट वगैरह की तैयारी करने में जुट गई। हालांकि इस दौरान अर्चना ने पढ़ाई को ब्रेक नही किया और इसके साथ ही उन्होंने एम फिल करने के बाद इतिहास विषय से पीएचडी की उपाधि हासिल कर दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में योगदान कर उन्होंने न केवल डुमरांव बल्कि अपने पैतृक गांव जोगाधरा दावथ का भी नाम रोशन करते हुए प्रतियोगी छात्र छात्राओं के लिए प्रेरणा की स्रोत बन गई है। डॉ अर्चना कुमारी के बड़े भाई अमितेष कुमार शिक्षक हैं। जबकि दूसरा भाई डॉ आशुतोष कुमार बनारस बीएचयू में इतिहास विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद को सुशोभित कर रहे हैं। वहीं इनकी बड़ी बहन आभा कुमारी डालमिया नगर में शिक्षिका हैं। इस सफलता का श्रेय डॉ अर्चना कुमारी अपने माता पिता व भाई बहनों को देते हुए कहती हैं। परिवार के लोगों ने मुझ पर विश्वास जताया और हमेशा मार्गदर्शन दिया जिसके बदौलत डुमरांव से दिल्ली तक कि सफर कर इस मुकाम को हासिल किया है।

