ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्तियोग का समिश्रण है श्रीमद भागवत गीता : पवननन्दन
भोजपुरी दुलार मंच के बैनर तले बंगाली टोला में मनाई गयी गीता जयंती




न्यूज़ विज़न। बक्सर
शनिवार अगहन पूर्णिमा को श्रीमद्भगवत गीता जयंती भोजपुरी दुलार मंच के बैनर तले मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ ओम प्रकाश केसरी पवननन्दन के संयोजन एवं संचालन में पार्वती निवास परिसर में सोल्लास वातावरण में मनाया गया। जिसका उद्घाटन गीता के जानकार डॉ महेन्द्र प्रसाद, शशिभूषण मिश्र, अतुल मोहन डॉ शशांक शेखर महेश्वर ओझा महेश, शिव बहादुर पांडेय प्रीतम, विहान जी, गणेश उपाध्याय, लक्ष्मण प्रसाद जायसवाल, ई रामाधार सिंह, कन्हैया दुबे आदि ने दीप प्रज्वलित करके एवं श्रीमद भागवत ग्रंथ पर माल्यार्पण करके किया गया।
आयोजित जयंती समारोह की अध्यक्षता वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने किया। जयंती समारोह को सम्बोधित करते हुए अपने उद्घाटन सम्बोधन में डॉ महेन्द्र प्रसाद ने बड़े ही् विस्तार से श्री गीता के बारे में बताये कि श्रीमद्भगवत गीता कुल सात स़ौ श्लोक में है। सम्पूर्ण गीता का मर्म है कर्मवाद.श्रीमद्भगवत गीता हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है।








अध्यक्षता करते हुए वर्मा जी ने कहा कि गीता समस्त मानव के लिए बहुत ही उपयोगी है तुम्हारे शरण में आ जाओ यही गीता का महत्वपूर्ण बात है। जयंती समारोह को मुख्य अतिथि, डॉ राजेश मिश्रा, सहित डॉ अमित मिश्रा, दीनबन्धु प्रधानआदि ने भी जयंती सभा को सम्बोधित किये। श्रीमद्भगवत गीता जयंती समारोह में संचालन करते हुए डॉ पवननन्दनन ने ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्ति योग का समिश्रण है। यह एक अथाह है, जब_जब लोग इसक़ो पढते तब तब एक नया अर्थ निकलता है। कहने का मतलब यही है कि श्रीमद्भगवत गीता एक अनमोल है।

