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जो अपने पास है उसी में काम चलाना सीखो आप सुखी रहोगे : गंगा पुत्र लक्ष्मी नारायण स्वामी

भगवान शिव सपरिवार प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ के पांचवे दिन शिव विवाह की कथा

भास्कर न्यूज | बक्सर
जिले के सिमरी प्रखंड अंतर्गत दुरासन गांव में गंगापुत्र लक्ष्मी नारायण त्रिदंडी स्वामी के सानिध्य में 12 जुन से चल रहे भगवान शिव सपरिवार प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ के पांचवे दिन अयोध्या से आई कथा वाचिका जया श्री ने शिव महापुराण की कथा सुनाई साथ ही लक्ष्मी नारायण गंगा पुत्र स्वामी ने शिव विवाह की कथा सुनाई।
उन्होंने शिव के चरित्र से यही शिक्षा मिलती है, जब गणों ने भगवान शिव विवाह के लिए श्रृंगार करने के लिए कहा की आपके मित्र नारायण है कहे तो उनसे गहना मांग के लेकर आए शिव जी ने कहा नही जो हमारे पास है उसी में काम चलाए। शिव हमे संकेत करते है की जो है उसी में काम चलाना सीखो आप सुखी रहोगे, और घर के जंजाल को श्रृंगार बनालो। शिव ही संभू गण करही श्रृंगार, जटा मुकुट अहि मौर स्वरा, कानन कुंडल पहिरे ब्याला, तन विभूति पटी के हरी छला। श्रृंगार भी सर्पों के, सर्प संपति का सूचक होता है। त्रिशूल त्रि पाप हरण करता है। दैहिक, दैविक, भौतिक, पाप का हरण करता है, इसलिए शिव के मदिर में तीन बार हर हर महादेव जरूर बोलना चाहिए। भगवान उसके ऋणी हो जाते है।

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