जातीय जनगणना एथेंटिक नहीं, ब्राह्मणो की संख्या पहले 4.7% थी, जो 3.65% कैसे हो गयी : विनोधर ओझा




न्यूज़ विज़न। बक्सर
राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बिनोधर ओझा ने 1931 के बाद जितनी भी जनगणना हुई उसमें ब्राह्मणो की संख्या में 4.7% थी, जो अब घटकर 3.65% कैसे हो गयी है वही कुर्मी व कुशवाहा का बढ कैसे गया है ? यह गणना एथेंटीक नही है ? इसे केन्द्र सरकार/ बिहार को गहनता से विचार करानी चाहिए और यह विश्वसनीय नही है. इस जनगड़ना के आधार पर कोई काम या योजनाए नही बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा की अगर बिहार सरकार सही मान रही है और अतिपिछड़ी जाती का विकास चाहती है तो मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी त्यागनी चाहिए और किसी मुसहर/अवधी बनिया, कायस्थ जाती को दे देना चाहिए। भूइया और मूसहर को अलग तथा मांझी को अलग दिखाया गया है ! मांझी जी मुसहर और भूइया को सम्मलित करने की मांग की है ! एक बार मांझी जी अच्छा कार्यकर रहे थे किन्तु वह दो सौ अठहत्तर दिन ही रहे और उन्हें महादलित मांझी बरदास्त नही हुए और हटाकर नीतीश जी स्वयं बैठ गये. जातियगणना के बाद उनका उत्थान कैसे होगा विचारणीय है. जातीय गणना के पूर्व यह सब कही जा रही थी ! कथनी और करनी में बहुत अंतर है। आज कांग्रेस भी जातीय जनजणाना पर खुश है क्या वर्तमान अध्यक्ष को प्रधानमंत्री बना सकते है जो महादलित जाती से आयें है।

