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स्टॉप डायरिया अभियान की होगी शुरुआत, डायरिया के कारण होने वाली बाल मृत्यु को शून्य करना रहेगा लक्ष्य

जिले में डायरिया रोकथाम के लिए दो माह तक चलेगा विशेष अभियान, वितरित किए जायेंगे ओआरएस के पैकेट

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

जिले से डायरिया उन्मूलन को लेकर 23 जुलाई से लेकर 22 सितंबर तक स्टॉप डायरिया कैंपेन (दस्त की रोकथाम अभियान) – 2024 का संचालन किया जाना है। जिसके तहत जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल के निर्देशन में गुरुवार को पीजीआरओ संजय कुमार की अध्यक्षता में जिला स्तरीय आईडीसीएफ स्टीयरिंग कमिटी की बैठक संपन्न हुई। बैठक में स्टॉप डायरिया कैंपेन के सफल संचालन को लेकर विमर्श करते हुए रणनीति तय की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए पीजीआरओ संजय कुमार ने बताया कि स्टॉप डायरिया अभियान का लक्ष्य डायरिया के कारण होने वाली बाल मृत्यु को शून्य करना है। राज्य में बाल डायरिया रोग शून्य से पांच वर्ष के बच्चों में 13.7 प्रतिशत मौतों का कारण है, जो पूरे देश के आंकड़े से दो गुणा है। हालांकि, डायरिया से होने वाली मौतों को ओआरएस और जिंक की गोलियों के उपयोग से निर्जलीकरण का इलाज करके रोका जा सकता है। वहीं, बाल डायरिया से होने वाली मौतों को केवल स्तनपान, पूरक आहार की समय पर शुरूआत, स्वच्छता और सफाई, सुरक्षित पेयजल का उपयोग और रोटावायरस के खिलाफ टीकाकरण के माध्यम से भी रोका जा सकता है। जिसके लिए राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक किया जाना है। इसी को देखते हुए जिला स्तर से लेकर पंचायत व ग्राम स्तर पर अगले दो माह तक विभिन्न गतिविधियों का अयोजन किया जाना है। जिसका संचालन स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ सभी सहयोगी संस्थानों के संयुक्त तत्वाधान में किया जाएगा।

 

स्वास्थ्य संस्थानों में ओआरएस तैयार करने के लिए सत्रों का करें संचालन :

बैठक के दौरान पीजीआरओ संजय कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा पदाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में लोगों को विशेषकर माताओं को हाथ धोने की विधि एवं ओआरएस घोल तैयार करने के लिए कम से कम दो सत्रों का आयोजन किया जाये। ताकि, आपात स्थिति में घर में प्राथमिक उपचार किया जा सके। साथ ही, फ्रंट लाइन वर्कर्स के माध्यम से सुरक्षित पेयजल और स्वच्छ शौचालयों के संदर्भ में स्वास्थ्य सुविधाओं का आकलन किया जाए। उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में साफ-सफाई का ध्यान रखना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। साथ ही, उन्होंने डायरिया प्रबंधन पर महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला एवं ब्लॉक अधिकारियों के लिए उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन करना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने पिछले 3-4 महीनों के दौरान डायरिया से प्रभावित पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों (आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित) की सूची तैयार करने का निर्देश दिया। वहीं, आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के साथ बैठक का आयोजन कर डायरिया से संबंधित भ्रान्तियों को दूर करने पर बल दिया।

विभिन्न कार्यक्रमों का किया जाएगा अयोजन :

बैठक में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि स्टॉप डायरिया कैंपेन के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का अयोजन किया जाएगा। जिसमें स्वास्थ्य केन्द्र स्तर की गतिविधियों में डायरिया के मामलों में मानक प्रबंधन को बढ़ावा देना, डिस्प्ले प्रोटोकॉल के अंतर्गत प्लान ए, बी, सी, डायरिया से पीड़ित कुपोषित बच्चों का चिकित्सकीय प्रबंधन किया जाना शामिल है। प्रखंडों में स्टॉप डायरिया कैंपेन बैठक, विद्यालयों, वीएचएसएनडी, आंगनबाड़ी में हाथ धोने की विधि का प्रदर्शन एवं अभ्यास, हांथ धोने की विधि का पोस्टर प्रदर्शित करना, शहरी क्षेत्रों के लिए मोबाईल टीम का गठन कर गतिविधियों में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा आशा कार्यकर्ताओं के स्तर से की जाने वाली मुख्य गतिविधियां जैसे आशा के माध्यम से गृह भ्रमण के दौरान पांच वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को रोगनिरोधी रणनीति के तहत एक पैकेट ओआरएस का वितरण किया जाएगा। घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ताओं द्वारा एमसीपी कार्ड का उपयोग करते हुए माताओं/परिवारों को महत्वपूर्ण परामर्श सेवा प्रदान किया जाएगा। सामुदायिक स्तर पर आशाओं द्वारा ओआरएस घोल तैयार करने के लिए उचित विधि का प्रदर्शन, अपने क्षेत्र के परिवारों को स्वच्छता और सफाई के महत्व के बारे में शिक्षित करना, दस्त संबंधित मामलों की पहचान करना तथा उन्हें एएनएम/स्वास्थ्य केन्द्रों पर संदर्भन तथा माताओं को खतरे के संकेतों के बारे में शिक्षित करना, स्कूलों में हांथ धोने की विधि का प्रदर्शन किया जाना, डायरिया से यदि कोई मृत्यु होती है तो इसकी जानकारी भी आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा एमओआईसी व बीसीएम को दी जायेगी।

स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियों का किया गया उन्मुखीकरण :

दूसरी ओर कलेक्ट्रेट सभागार में जिले के सभी प्रखंडों से आए प्रभारी चिकित्सक पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, आशा फैसिलिटेटर एवं आशा कार्यकर्ताओं का उन्मुखीकरण किया गया। जिसमें अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने डायरिया के रोकथाम के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि बिहार में ज्यादातर क्षेत्र ग्रामीण है। जिसके कारण शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों के पतला स्टूल होने पर विभिन्न धारणाएं व्याप्त है। जब शिशु नौ से डेढ़ वर्ष के बीच में होता है तो इसमें लोग ये मानते हैं कि बच्चे का दांत निकल रहा है, इस कारण उसका स्टूल पतला हो रहा है। लेकिन कई बार ऐसे मामलों में शिशु के संक्रमित होने के कारण भी दस्त के लक्षण देखने को मिलता है। जिसका समय पर इलाज नहीं होने पर बच्चों के शरीर से जरूरी पोषक तत्व की कमी होने लगती है। जिसके कारण शिशु की गंभीर स्थिति भी हो सकती है। इसलिए स्टॉप डायरिया कैंपेन के दौरान आशा कार्यकर्ताएं घर घर जाकर डायरिया के लक्षण की जानकारी देंगी। साथ ही, उनको घर में ओआरएस तैयार करने और साफ सफाई की जानकारी देंगी। ताकि, शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों के डायरिया से होने वाली मौतों में कमी लाई जा सके। उन्होंने स्टॉप डायरिया कैंपेन पर चर्चा करते हुए बताया कि सभी आशा अपने क्षेत्र में पांच व उससे कम उम्र के बच्चों की लाइन लिस्ट तैयार करें। जिसके बाद प्रति बच्चे पर ओआरएस का पैकेट देना है। वहीं, किसी बच्चे में डायरिया के लक्षण पाए जाने पर ओआरएस के दो पैकेट देना अनिवार्य है। ताकि, बच्चों को डायरिया से बचाया जा सके।

इस दौरान जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, जिला मूल्यांकन एवं अनुश्रवण पाधिकारी, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक, यूनिसेफ के एसएमसी, सीफार के क्षेत्रीय मीडिया समन्वयक समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।

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