रासलीला में मीरा को दी अनेको प्रकार की यातनाएं, हर जगह पहुंच गिरधर गोपाल ने की रक्षा
विक्रम सिंह मीरा से ईर्ष्या वश गोपाल की चोरी, सर्प से कटवाया, जहर पिलाया, भूतों के महल में भेंजकर मारने का प्रयास किया लेकिन गोपाल सब जगह मीरा की रक्षा करते हैं




न्यूज़ विज़न । बक्सर








शहर के किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर चल रहे विजयादशमी महोत्सव के छठवें दिन गुरुवार को वृंदावन श्रीधाम से पधारे श्री नंद नंदन रासलीला एवं रामलीला मंडल के स्वामी श्री करतार ब्रजवासी के निर्देशन में कृष्ण लीला मंचन के दौरान “मीराबाई चरित्र” का मंचन किया गया।
मीराबाई चरित्र में दिखाया गया कि मीराबाई के नगर राजस्थान के मेड़ता गाँव में संत रैदास जी आते हैं. मीराबाई अपने माँ के साथ संत के सत्संग में जाती है। वहाँ संत के पास गिरिधर गोपाल को देखकर आकर्षित हो जाती है। वह संत से उस गिरिधर गोपाल की मूरत को मांगने जाती है. परन्तु रैदास जी देने से इंकार कर देते हैं। सत्संग से घर लौटने के बाद मीराबाई उस गिरिधर गोपाल की मुर्ति पाने के लिए अन्न जल का त्याग कर देती है। उधर रात्रि में संत को स्वप्न में गोपाल आते हैं और कहते हैं कि मेरी मूरत मीराबाई को दे दो अन्यथा मैं नाराज हो जाऊंगा। संत जागृत अवस्था में आते है और मीराबाई के यहाँ जाकर अपने गिरिधर गोपाल की को सौंप देते हैं। मीराबाई गोपाल को पाकर बहुत प्रसन्न होती है. समयानुसार मीराबाई का विवाह मेवाड़ के महाराज भोजराज से होता है। भोजराज मीरा को घर लेकर आते हैं. कुछ दिन पश्चात् भोजराज का स्वर्गवास हो जाता है। उसके बाद मीरा गोपाल की भक्ति में तल्लीन हो जाती है और संतों के साथ नाचते- गाते संकीर्तन करने लगती है। इस तरह करते देखकर भोजराज के छोटे भाई विक्रम सिंह मीरा से इर्श्या करने लगते हैं और उनको तरह तरह की यातना देने लगते हैं। मीरा के गोपाल की चोरी करवाई जाती है, मीरा को सर्प से कटवाया जाता है, जहर पिलाया जाता है, मीरा को भूतों के महल में भेंजकर मारने का प्रयास किया जाता है. लेकिन गोपाल सब जगह मीरा की रक्षा करते हैं। यह देख विक्रम सिंह घबरा जाता है और अंत में मीरा से क्षमा मांगता है. फिर मीराबाई भक्ति करने वृंदावन धाम चली जाती है, वहाँ गिरिधर गोपाल उन्हें दर्शन देते हैं। उक्त लीला का दर्शन कर श्रद्धालु भाव विभोर हो जाते हैं।




