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बच्चों में बीमारियों और विकृतियों की पहचान के लिए आरबीएसके की टीम पहुंची देशर बुजुर्ग गांव 

बच्चों के गंभीर बीमारी के इलाज के लिए पांच लाख तक का खर्च उठाती है सरकार

न्यूज़ विज़न ।  बक्सर 

जिले में शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों को बीमारियों और शारीरिक विकृति से बचाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) का संचालन किया जा रहा है। जिसके तहत आरबीएसके की टीम आंगनबाड़ी केंद्रों और सरकारी स्कूलों में जाकर बच्चों का स्वास्थ्य परिक्षण करती है। जिसके बाद बच्चों में बीमारियों और विकृतियों की पहचान कर उनका इलाज कराती है।

 

मंगलवार को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आरबीएसके की टीम ने सदर प्रखंड के उमरपुर पंचायत अंतर्गत देशर बुजुर्ग गांव के आंगनबाड़ी केंद्र कोड संख्या 117 पर 44 मेल और 38 फिमेल का स्वास्थ्य की जांच डा. ज्ञान प्रकाश द्वारा किया गया साथ में फार्मासिस्ट अग्निवेश सिंह मौजूद रहे। आरबीएसके कार्यक्रम के तहत शून्य से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों की बीमारियों का समुचित इलाज किया जाता है। जिनमें शून्य से 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में होती है। जबकि 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग उनके स्कूलों में की जाती है। ताकि चिन्हित बीमारियों के समुचित इलाज में देरी न हो। आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार यानि हर छह महीने पर और स्कूलों में साल में सिर्फ एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती है। स्क्रीनिंग करते वक्त बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है।

गंभीर बीमारी होने पर बच्चों को किया जाता है रेफर :

आरबीएसके के आयुष चिकित्सक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया कि टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग के दौरान सर्दी-खांसी व बुखार जैसी सामान्य बीमारी होने पर तत्काल तुरंत उन्हें दवा दी दिया जाती है। लेकिन बीमारी गंभीर होने की स्थिति में उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए संबंधित पीएचसी में भेजा जाता है। वहीं, टीम में शामिल एएनएम के द्वारा बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई (हाइट), सिर की परिधि, बांह की मोटाई की माप तौल की जाती है। फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों से संबंधित बातों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित किया जाता है। ताकि, बच्चों के हेल्थ रिपोर्ट का डाटा संधारित रखा जा सके। उन्होंने बताया कि बच्चों में कुछ प्रकार के रोग समूह बेहद आम है, जैसे दांत, हृदय संबंधी अथवा श्वसन संबंधी रोग। यदि इनकी शुरुआती पहचान कर ली जायें तो उपचार संभव है।

बच्चों का पांच लाख रुपये तक का कराया जाता है इलाज :

सदर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत 0 से 18 साल तक के बच्चों का मुफ्त में पांच लाख रुपये तक का इलाज किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत बच्चों की कई जन्मजात बीमारी जैसे बच्चों के हृदय में छेद, जन्मजात मोतियाबिंद, फटे होंठ, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, स्पाइनल कॉर्ड और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति, जन्मजात मोतियाबिंद, मूक बधिर, क्लबफुट, कमर में गंभीर समस्या समेत 42 बीमारियों की पहचान की जाती है और उनका इलाज कराया जाता है। जिसका लाभ कई बच्चों को दिलाया गया है। साथ ही, बच्चों के अभिभावक या परिजन अपने पास के सरकारी अस्पातल में भी जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जिसके बाद बच्चों की जांच कर उन्हें इलाज के लिए बड़े अस्पतालों में रेफर किया जाता है।

 

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