RELIGION

धुएं के गुब्बार से पट गया बक्सर, गंगा स्नान कर श्रद्धालुओं ने लिट्टी चोखा बना किया प्रसाद ग्रहण 

पंचकोशी मेला के आखिरी पांचवें दिन चरित्रवन में लिट्टी चोखा बना खाकर प्रभु श्रीराम ने बसांव मठ में किया विश्राम

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक पंचकोशी मेला को लेकर विश्वामित्र की नगरी जिसे मिनी काशी भी कहा जाता है। जहां 20 नवम्बर से आरम्भ होकर 24 नवम्बर रविवार को अंतिम पांचवा पड़ाव पर समाप्ति हो गया। यहां श्रद्धालुओं का शनिवार की रात से ही आने का तांता लगा हुआ था। देश सहित नेपाल के अलावे दूरदराज क्षेत्रों से भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि गंगा में स्नान कर मंदिरों में पूजा अर्चना करने के बाद लिट्टी चोखा लगाकर प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं।

 

गंगा नदी से सटे चरित्रवन सहित किला मैदान में श्रद्धालुओं से भरा पड़ा दिख रहा है। पंचकोशी के अवसर पर बक्सर में लिट्टी चोखा भोज का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने खुद उपला लाकर या खरीद कर लिट्टी लगाकर प्रसाद ग्रहण किया, वहीं दूसरों के बीच भी प्रसाद ग्रहण कराया। इस दौरान गंगा तट से लेकर पूरा किला मैदान धुएं के गुब्बार से पता हुआ था।

पंचकोसी परिक्रमा समिति द्वारा चरित्रवन श्रीनिवास मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए की गयी थी प्रसाद की व्यवस्था, प्रवचन के माध्यम से बताया गया महत्व

शहर के चरित्रवन श्रीनिवास मंदिर में पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष पूज्य संत स्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज द्वारा मंदिर परिसर में प्रसाद ग्रहण करने की व्यवस्था की गयी थी। वही डा.रामनाथ ओझा ने बताया कि बक्सर से ही सृष्टि की शुरुआत होती है। इसीलिए बक्सर और बक्सर की पंचकोसी परिक्रमा की महत्ता काफी बढ़ जाती है। बक्सर वह धरती है, जहां तमाम जगहों से आने के बाद यहां हर किसी की मंगल कामना हुई है। उन्होंने बताया कि पंचकोसी परिक्रमा से अपने लक्ष्य से भटका हुआ व्यक्ति भी अपने गंतव्य को प्राप्त कर लेता है। बक्सर की धरती वह ऐतिहासिक धरती है जहां भगवान बामन ने जन्म लिया। उन्होंने बताया कि धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में जिस तरह से बक्सर को विकसित होना चाहिए, वह कहीं ना कहीं आज भी नहीं हो पाया है। चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने जनप्रतिनिधि और सरकारी स्तर पर उदासीनता बरते जाने को लेकर भी चिंता जाहिर की,साथ ही कहा कि इस दिशा में सभी को आगे आना चाहिए। ताकि बक्सर की धार्मिक महत्ता को और विश्व पटल पर निखारा जा सके।

 भगवान श्रीराम के समय से चली आ रही है पंचकोसी परिक्रमा 

पंचकोशी यात्रा के दौरान दौरान सुरक्षा के साथ ही विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा रेलवे स्टेशन और किला मैदान सहित अन्य जगहों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। वही जाम की समस्या से निजात के लिए शहर के ज्योति चौक और आईटीआई मैदान से ऑटो और निजी वाहनों को भी रोक दिया गया था। लिट्टी चोखा मेला को लेकर सब्जियों की मंडी में बैंगन, टमाटर से लेकर उपलव की दुकानें सजी थी। दरअसल ऐतिहासिक पंचकोशी परिक्रमा की परंपरा की शुरुवात भगवान राम के उस समय से चली आ रही है। जब भगवान राम तड़का का वध करने के बाद बक्सर के पांच स्थलों पर यात्रा किए थे।

मान्यताओं की माने तो भगवान राम सभी पांचो जगहों पर गए। जिसमें पहला स्थान अहिरौली, फिर नदावं, उसके बाद भभुवर और नुआंव तथा अंत में चरित्रव़न की यात्रा भगवान राम ने की थी। इन सभी स्थानों पर रात्रि विश्राम किया और अलग अलग भोजन ग्रहण किया। ऐसे में अंतिम दिन लिट्टी चोखा से यात्रा की समाप्ति की जाती है। जो देर शाम तक नजारा देखने को मिल रहा है। निजी वाहनों एवं रेलवे द्वारा यात्रियों का आने-जाने का सिलसिला जारी है।

श्रीराम कथा बक्सर से हुआ था आरम्भ  : गंगा पुत्र 

पंचकोशी मेला में नौलखा मंदिर के समीप गंगा पुत्र लक्ष्मी नारायण स्वामी जी महाराज द्वारा श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद व ठहरने की व्यवस्था की गयी थी।  वही उन्होंने प्रवचन के दौरान कहा की राम की कथा बक्सर के आरम्भ हुयी थी। धर्म की स्थापना और दुष्टों का विनाश का कार्य यही से आरम्भ हुआ जिसे चरित्रवन कहते है। पूर्व में इसे चरितार्थ वन कहते थे।

आस्था के आगे टूटी मजहब की दीवार 

पंचकोशी मेला में आये श्रद्धालु किला मैदान से लेकर पूरे चरित्रवन में लिट्टी बना रहे थे वही शहर का किला मैदान रोड में प्रसिद्ध दरिया शहीद बाबा के मजार परिसर में भी सैकड़ों की संख्या में लिट्टी चोखा बना प्रसाद ग्रहण कर रहे थे।


स्टेशन रोड में दिनभर लगा रहा जाम, पुलिस रही परेशान

वही बक्सर शहर के विभिन्न जगहों पर महाजाम का नजारा दिखा, खासकर ज्योति प्रकाश चौक, सेंड गेट, गोलंबर आदि चौराहे जाम से कराहते रहे। पुलिस बल की कमी के वजह से घंटों का जाम रहा। जबकि ट्रैफिक पुलिस द्वारा ज्योति प्रकाश चौक पर जाम से निबटने का पूरा प्रयास किया जा रहा था।

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