RELIGION

सत्य ही परमात्मा का स्वरूप है जो नित्य है और अनाड़ी है : डॉ. पुंडरीक शास्त्री 

17वें श्री प्रिया प्रियतम मिलन महोत्सव के दूसरे दिन भागवत कथा 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

शहर के नया बाजार स्थित सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में पूज्य नारायण दास भक्तमालि उपाख्य मामाजी महाराज के पावन स्मृति में आश्रम के महंत सह श्री विश्वामित्र पीठाधीश्वर श्री राजाराम शरण दास जी महाराज के सानिध्य में चल रहे 17वें श्री प्रिया प्रियतम मिलन महोत्सव के दूसरे दिन संध्या 3 बजे से कशी से आये कथा वाचक डॉक्टर पुंडरीक शास्त्री ने भागवत महात्म्य की कथा सुनाया।

 

श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस की कथा में कथा वाचक डॉक्टर पुंडरीक शास्त्री ने बताया कि भागवत महात्म की चर्चा करते हुए यह कहा कि महत्व को जाने बिना परम तत्व को जानना बड़ा मुश्किल है। महिमा के बिना गरिमा और मधुरिमा की प्राप्ति बड़ा मुश्किल है भागवत के महत्व में तीन संवादों की कथा है नारद और भक्ति का संवाद सनत कुमार और देवर्षि नारद का संवाद तथा गोकर्ण और धुंधकारी का संवाद सड़क के जीवन में भक्ति के साथ-साथ ज्ञान वैराग्य का भी पुष्ट होना आवश्यक है जीवन में संकट की घड़ी आने पर संत के शरण में ही जाना चाहिए और संत ही भगवत तक पहुंचाने के मार्ग प्रशस्त करते हैं।

 

भागवत कथा काली कल के प्राणियों का कल्याण करती है गोकर्ण और धुंधकारी करी की कथा में यह बताया गया कि अपने धर्म का जो त्याग कर देता है उसका सर्वनाश हो जाता है परंतु यह भी बताया गया कि कितना भी बड़ा पापी हो यदि सत्संग और भगवान की कथा श्रवण करता है तो उसे प्राणी को प्रभु अपने सामान बना लेते हैं। इसके पश्चात भागवत के मंगलाचरण में सत्य परमात्मा के ध्यान की चर्चा हुई ज्ञान से भी श्रेष्ठ है ध्यान भागवत में सत्य स्वरूप परमात्मा का ध्यान किया गया है सत्य ही परमात्मा का स्वरूप है जो नित्य है और अनाड़ी है और शाश्वत है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button