रघुभूमि से तपोभूमि’ की यात्रा सम्पन्न : बक्सर को वैश्विक आध्यात्मिक मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में बढ़ा एक और कदम
बक्सर केवल एक नगर नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना और अध्यात्म की तपोभूमि है : वर्षा पांडेय




न्यूज़ विज़न। बक्सर
त्रेतायुगीन स्मृतियों और आध्यात्मिक विरासत से जुड़ी “रघुभूमि से तपोभूमि तक” यात्रा शुक्रवार को परंपरानुसार संपन्न हुई। यह यात्रा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अयोध्या से प्रारंभ होकर बक्सर पहुँची, जहाँ श्रद्धालुओं का स्वागत गोलंबर स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र की प्रतीकात्मक आरती के साथ किया गया।







यह यात्रा “जहँ-जहँ चरण पड़े रघुवर के” की भावना को साकार करते हुए उन सभी स्थानों से होकर गुज़री, जहाँ भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र ने अयोध्या से सिद्धाश्रम (बक्सर) तक की यात्रा में विश्राम किया था। बक्सर में यात्रा गोलंबर से बाईपास रोड होते हुए रामरेखा घाट पहुँची। वहाँ गंगा दर्शन और पूजन के उपरांत श्रद्धालु राम चबूतरा, चरित्रवन, संगमेश्वर नाथ (गंगा ठोरा संगम स्थल), वामन अवतार स्थल से होते हुए विश्राम कुण्ड, बसांव मठिया पहुँचे, जहाँ परम पूज्य पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज के आशीर्वचनों के साथ यात्रा का समापन हुआ।

इस समर्पित और भव्य यात्रा का सफल संचालन समाजसेवी और भाजपा नेत्री वर्षा पाण्डेय के नेतृत्व में हुआ। यात्रा के आयोजन में विश्व हिन्दू परिषद के अरविन्द सिंह, जगदीश चंद्र पाण्डेय, ईश्वर दयाल, राजेन्द्र पाण्डेय,टिंकू सिंह, विकास मिश्रा, निलय उपाध्याय, श्यामला पाठक, रीना राय, शोभा चौबे, नीलम सहाय, अर्चना वर्मा, माधुरी और सीमा जी सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं और श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान श्रीमती वर्षा पाण्डेय ने कहा कि बक्सर केवल एक नगर नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना और अध्यात्म की तपोभूमि है, जहाँ रामायण का जीवन्त इतिहास आज भी वाणी और वंदना के रूप में सांस लेता है।
उन्होंने यह भी कहा, “बक्सर की यह पवित्र भूमि केवल बिहार की नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारत की आध्यात्मिक धरोहर है। मेरी यह संकल्पबद्ध कोशिश है कि रामायण सर्किट के माध्यम से बक्सर को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई जाए, ताकि यह भूमि धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक नवजागरण और आध्यात्मिक उन्नयन का केंद्र बने।” उन्होंने गंगा-ठोरा संगम, सिद्धाश्रम, वामन अवतार स्थल जैसे पौराणिक स्थलों के संरक्षण और जागरण की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि बक्सर के सर्वांगीण उत्थान के लिए सरकार और समाज को मिलकर संगठित प्रयास करने होंगे। इस ऐतिहासिक यात्रा के माध्यम से न केवल परंपरा का पुनरुद्धार हुआ, बल्कि बक्सर की धार्मिक और सांस्कृतिक गरिमा को नई ऊर्जा मिली है।

