शिव पुराण के सुनने मात्र से हमारे जीवन के समस्त पाप जल कर राख हो जाते हैं : आचार्य रणधीर ओझा
रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में सिद्धाश्रम विकास सेवा समिति द्वारा सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा का हुआ शुभारम्भ




न्यूज़ विज़न। बक्सर
सावन के पवित्र महीने में नगर के रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में सिद्धाश्रम विकास सेवा समिति द्वारा सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा का शिवपूजन के पश्चात समिति के रामस्वरूप अग्रवाल, सत्यदेव प्रसाद, त्रिवेदी जी, उपेंद्र पांडेय, संजय सिंह, मनोज तिवारी द्वारा व्यास पीठ पूजन के साथ पूजा की गई। कथा के प्रथम दिन मामा जी के कृपा पात्र आचार्य रणधीर ओझा ने शिव पुराण के महात्म्य एवं भगवान शिव के चरित्र पर प्रकाश डाला।











आचार्य श्री ने कहा कि भगवान शिव मंगल के स्वरूप हैं इनकी पूजा निराकार और साकार दोनों रूपों में की जाती है। भगवान शिव ही एक ऐसा देवता हैं जिनकी पूजन देवता और दानव दोनों करते हैं। इनका नाम आशुतोष है यह थोड़ी सी आराधना से संतुष्ट हो जाने वाले देवता माने जाते हैं। हम सभी बड़े भाग्यशाली हैं कि श्रावण मास में शिव मंदिर में शिव पुराण की कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ 18 पुराणों में 12 पुराणों के नायक के रूप में भगवान शंकर का दर्शन होता है। चाहे राम कथा हो या कृष्ण कथा लेकिन पहले शिव कथा हमें पढ़ने को मिलता है ।आचार्य श्री ने कहा कि शिव पुराण के सुनने मात्र से हमारे जीवन के समस्त पाप जल कर राख हो जाते हैं। चाहे कैसा भी पापी हो। जो शिव पुराण के शरण में आता है वह नरक गमी नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि शिव पुराण में कथा आती है कि एक देवराज नमक ब्राह्मण था वह अधम दुराचारी, पापाचारी एवं अपनी पत्नी को छोड़कर शोभवती नामक वेशया से विवाह कर लिया एवं अपनी पत्नी माता-पिता की हत्या कर दिया एक दिन घूमते फिरते प्रयागराज पहुंचा रात्रि होने सेवा शिव मंदिर में ठहर गया। संयोग से उस मंदिर में पंडित जी शिव पुराण की कथा कर रहे थे। बुखार में वह पड़े पड़े कथा श्रवण कर रहा था उस दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। कथा श्रवण के प्रभाव से वो देवराज यमराज पूरी नहीं बल्कि देव लोक को प्राप्त हुआ। चाहे जो भी श्रावण मास में शिव पुराण कथा श्रवण करेगा उसकी सभी मनोकामना भगवान संपूर्ण करते हैं।

