श्मशान में जब राजा हरिश्चंद्र ने अपनी पत्नी तारा से पुत्र के अंतिम संस्कार के लिए टैक्स का किये मांग
राजा हरिश्चंद्र की सत्यता पर अडिग देख महर्षि विश्वामित्र के साथ प्रकट हुए सभी देवता




न्यूज़ विज़न। बक्सर
शहर के किला मैदान में रामलीला समिति के तत्वाधान में चल रहे 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव के उन्नीसवें दिन बुधवार को वृंदावन से पधारे श्री नंद नंदन रासलीला एवं रामलीला मंडल के स्वामी श्री करतार बृजवासी के सफल निर्देशन में देर रात्रि मंचित रामलीला के दौरान “राजा हरिश्चन्द्र” के प्रसंग का मंचन किया गया।








राजा हरिश्चंद्र प्रसंग के दौरान दिखाया गया कि अयोध्या के सूर्यवंशी राजा हरिश्चंद्र सत्य का पालन करते हैं. जिनके प्रभाव से इंद्र का सिंहासन हिलने लगता है। राजा हरिश्चंद्र के सत्य को डिगाने के लिए महर्षि विश्वामित्र को भेजा जाता है। जहां विश्वामित्र जी नाना प्रकार से राजा हरिश्चंद्र के सत्य को हिलाने की कोशिश करते हैं। विश्वमित्र जी छल से उनका राज्य हर लेते हैं. काशी में ले जाकर उनको कल्लू डोम के हाथों बेच लेते हैं। उनकी पत्नी तारा भी बिक जाती है राजा हरिश्चंद्र डोम की सेवा करने लगते हैं, फिर भी उनका सत्य नहीं डिग पाता है। आगे चलकर उनके बेटे रोहित को काला सर्प काट लेता है, जिसके संस्कारों के लिए उनकी पत्नी तारा अपने बेटे का शव लेकर शमशान घाट (मरघट) पर पहुंचती है। जहाँ राजा शमशान भूमि पर मरघट की मर्यादा को रखते हुए अपनी पत्नी तारा से पुत्र रोहित के संस्कार के लिए घाट की परंपरा के अनुसार कर (टैक्स) की मांग करते हैं। रानी तारा कर देने में असमर्थ हो जाती है, परंतु राजा अपना हक छोड़ने को तैयार नहीं होते। तारा कर देने के लिए भिक्षा मांगती है और अपने साड़ी को फाड़ कर कफन का दान देती है। यह देखकर विश्वामित्र सहित सभी देवता गण हरिश्चंद्र के पास प्रकट होते हैं और उनके सत्य और कर्तव्यनिष्ठा से प्रसन्न होकर पुष्पों की वर्षा करते हैं।
“चंद्र टरे सूरज टरे, टरे जगत व्यवहार.
पै दृढ़व्रत हरिश्चंद्र को, टरे न सत्य विचार…!”




