RELIGION

श्रद्धा और निष्काम भाव से भागवत कथा का श्रवण करने से उस व्यक्ति का निश्चित ही कल्याण और मोक्ष होगा : देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

श्रीमद्भागवत कथा का यह दिव्य ग्रंथ इतना पावन और कल्याणकारी है कि इसकी कथा सुनने मात्र से प्रेत का भी कल्याण  हो जाता है। जब एक प्रेत का कल्याण हो सकता है तो जो श्रद्धा और निष्काम भाव से सात दिन तक भागवत कथा का श्रवण करता है, उसका तो निश्चित ही कल्याण और मोक्ष होगा उक्त बातें शहर के आईटीआई मैदान में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन परम पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा।

उन्होंने कहा कि भागवत कथा  मानव जीवन की दिशा को मोक्ष की ओर मोड़ देती है। संसार में जितने भी प्रपंच, दुःख और मोह-माया हैं, उनसे ऊपर उठकर केवल ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाना ही भागवत का सच्चा उद्देश्य है। जिस राजा के राज में प्रजा दुखी होती है उस राजा को नर्क में जाना पड़ता है । राजा का धर्म केवल शासन करना नहीं, अपितु न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करना भी है। प्रजा का दुःख, राजा का व्यक्तिगत दुःख माना गया है।

जो मनुष्य शुद्ध हृदय, श्रद्धा और समर्पण भाव से भागवत कथा को सुनता है, वह दैहिक (शारीरिक), दैविक (दैवी प्रकोप), और भौतिक (सांसारिक कष्ट) – इन तीनों प्रकार के पापों एवं कष्टों से मुक्त हो जाता है। भागवत कथा केवल एक कथा नहीं, बल्कि आत्मा का शुद्धिकरण है, जो जीव को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर परम शांति की ओर ले जाती है। मनुष्य को सदैव स्वच्छ और सुसंस्कृत वस्त्र पहनने चाहिए। फटे-पुराने कपड़े पहनना न केवल अशोभनीय होता है, बल्कि यह दरिद्रता, नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य को आमंत्रित करता है। जिस घर में ऐसे वस्त्रों का अपमान होता है या उन्हें संभाल कर नहीं रखा जाता, वहां दरिद्रता और मानसिक अशांति का वास होता है।

भगवान जब-जब पृथ्वी पर अधर्म का बोलबाला होता है, धर्म की हानि होती है, और संतों तथा सज्जनों पर संकट आता है, तब-तब वे किसी न किसी रूप में अवतरित होकर धर्म की पुनः स्थापना करते हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button