54 वें श्री सीताराम विवाह महोत्सव का हुआ भव्य शुभारंभ, रासलीला में माखनचोर प्रसंग
जहाँ भगवान की कथा होती है वहाँ मंगल ही मंगल होता है : पुंडरिक शास्त्री जी महाराज




न्यूज़ विज़न। बक्सर
पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार के पुण्य स्मृति में आयोजित 54 वें श्री सीताराम विवाह महोत्सव का भव्य शुभारंभ आज नया बाजार स्थित आश्रम में हुआ।महोत्सव को लेकर पूरे आश्रम परिसर की विशेष साज सज्जा की गई है।साथ ही मुख्य कार्यक्रम के लिए विशाल पण्डाल का निर्माण किया गया है।










रविवार को प्रातः काल से ही आश्रम में विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए।आश्रम के परिकरो द्वारा सर्वप्रथम श्री रामचरितमानस जी नवाह पारायण पाठ किया गया। तत्पश्चात दामोह की संकीर्तन मण्डली के द्वारा नव दिवसीय अखण्ड अष्टयाम हरिकीर्तन प्रारंभ हुआ। तत्पश्चात राष्ट्रपति पदक प्राप्त ब्रज कोकिल श्री फतेह कृष्ण शास्त्री के निर्देशन में रासलीला के तहत माखनचोर प्रसंग का मंचन किया गया।
व्यासपीठ पूजन और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रीमद् भागवत कथा का हुआ शुभारंभ
वही श्री सीताराम विवाह महोत्सव के प्रथम दिन व्यासपीठ का वैदिक मंत्रोचार के पूजन के साथ नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। आश्रम के महंत राजाराम शरण दास जी महाराज के कर कमलों द्वारा व्यासपीठ का पूजन कर कथा की विधिवत शुरुआत की गई।
बक्सर वह पवित्र भूमि है जहां विश्वामित्र मुनि ने प्रभु श्रीराम से जोड़ा और प्रभु ने अहिल्या से इसलिए यह भूमि समाज को जोड़नेवाली है : पुंडरिक शास्त्री जी महाराज
प्रथम दिन की कथा मे कथा व्यास श्री पुण्डरिक शास्त्री जी महाराज ने कहा कि भगवान की कथा मंगल कारक एवँ विघ्न नाशक है। जहाँ भगवान की कथा होती है वहाँ मंगल ही मंगल होता है और दूर दूर तक विघ्न नही आता। उन्होने कहा कि भागवत कथा श्रवण करने वाले का मंगल ही होता है। संत भक्त को भगवान से जोड़ते है। और बक्सर की भूमि वह पवित्र भूमि है जहाँ सबके कल्याण के लिए सम्पूर्ण ब्रह्मांड को जोड़ने का संकल्प लिया गया। समाज को जोड़ने का कार्य ही यज्ञ है। अपने अवसादो को त्याग कर भगवान जुड़ना ही यज्ञ है। बक्सर की पावन भूमि पर प्रभु स्वयं विश्वामित्र महामुनि से जुड़े। और विश्वामित्र जी ने प्रभु श्रीराम को अहिल्या जी से जोड़ा, माता जानकी से जोड़ा। इसलिए मैं कहता हूँ की बक्सर वह पवित्र भूमि है जहाँ विश्वामित्र जी ने यज्ञ अर्थात समाज को जोड़ने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि संतों की चेतना उनका संकल्प और आशीर्वाद कभी भी नष्ट नहीं होता। कथा श्रवण करने से मनुष्य की चिति शुद्ध होती है। शुद्ध चिति से वृति शाँत होति है और मन पवित्र होता है। शुद्ध चिति, शांत वृति और पवित्र मन से चातुर्य पुरूषार्थ ठीक होता है। भगवान की भक्ति गंगा, हमारी भक्ति यमुना है।
सोमवार से मलुकपीठाधिश्वर जगतगुरू श्री राजेन्द्र दास जी के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का होगा श्रवण
वही रात्रि में आश्रम के परिकरो के द्वारा रामलीला में श्री गौरीशंकर विवाह लीला का मंचन किया गया। और सोमवार को मलुकपीठाधिश्वर जगतगुरू श्री राजेन्द्र दास जी के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा कही जाएगी।

