RELIGION

समुद्र का जल देखने में भले ही मलीन नजर आता है पर यही क्षीर सागर है जिसमें भगवान निवास करते हैं : आचार्य रणधीर ओझा

न्यूज विजन । बक्सर
शहर के रामरेखा घाट स्थित रामेश्वरनाथ मंदिर में विकास सिद्धाश्रम सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन आचार्य रणधीर ने महापुराण का वर्णन करते कहा कि श्रीमद् भागवत से बड़ा कोई महापुराण नहीं है। जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी जीवधारी का शरीर नाशवान है। इस संसार में एकमात्र ईश्वर ही अविनाशी हैं। इसके अलावा दुनिया की हर वस्तु नष्ट होने वाली होती है। कोई भी जीव जब तक परमात्मा को अपना संरक्षक नहीं समझता तब तक भगवान भी उसकी रक्षा नहीं करते हैं।

उन्होंने गजेंद्र मोक्ष का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब तक गजेंद्र अपने परिवार जनों पर भरोसा करता रहा तब तक ईश्वर उसके पास नहीं आए। लेकिन जैसे ही संसार का त्याग कर भगवान को पुकारा वो तुरंत प्रकट हो गए। द्रौपदी ने भी अपने पांडव पतियों को छोड़कर गोविंद को पुकार वो मदद को दौड़े चले आए। आचार्य जी ने समुद्र मंथन का जिक्र करते बताया कि समुद्र का जल देखने में भले ही मलीन नजर आता है पर यही क्षीर सागर है जिसमें भगवान निवास करते हैं। मनुष्य जाति को अपने हृदय के अंदर छिपी हुई शक्तियों को उजागर करने के लिए आसुरी के सथ सुरी प्रवृतियों का नाश करना होगा तभी हम अपने अंदर छुपे रत्नों को हासिल कर सकते हैं।

वही उन्होंने धर्म ग्रंथों पर चर्चा करते हुए कहा की धर्म ग्रंथ में कुल 24 अवतारों की चर्चा है। परंतु उनमें से केवल राम और कृष्ण का अवतार ही सनातन धर्म की पृष्ठ भूमि है। भारतीय संस्कृति को जानने और समझने के लिए इन दोनों अवतारों के चरित्र की जानकारी लेनी होगी तभी हम अपनी संस्कृति के रहस्यों से अवगत हो पाएंगे। आचार्य श्री ने कहा कि प्रत्येक मठ मंदिर एवं तीर्थ क्षेत्र में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है अच्छी बात है परंतु जीवन में आनंद की अनुभूति तत्व हो गई जब हमारे हृदय रूपी मथुरा में कृष्ण का अवतार हो यही जीवन की उपलब्धि है। कथा में मुख्य रूप से सहयोगी रामस्वरूप अग्रवाल, श्याम प्रकाश सिंह (वार्ड पार्षद) , विजय कुमार अग्रवाल , सत्यदेव प्रसाद, प्रोफेसर ममता अग्रवाल , उत्तम गुप्ता , छोटू गुप्ता , सुरेंद्र मिश्रा व शामिल रहे।

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