महर्षि दयानंद सरस्वती का 200 वां जन्मोत्सव पर डीएवी के छात्र छात्राओं ने नगर क्षेत्र में निकली प्रभातफेरी सह शोभा यात्रा




न्यूज़ विज़न। बक्सर
सोमवार को डीएवी के तत्वाधान में महर्षि दयानंद सरस्वती का 200 वां जन्मोत्सव समारोह के उपलक्ष्य में नगर क्षेत्र में प्रभातफेरी सह शोभा यात्रा एवं जन चेतना जागरण रैली का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यालय के विभिन्न वर्गों के बालक एवं बालिकाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस शोभा यात्रा का प्रारंभ डीएवी स्टेशन रोड से प्रातः 7:30 बजे किया गया। जो की शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए पुनः 10:00 बजे पूर्वाहन में डीएवी स्टेशन रोड, पर आकर समाप्त हुआ।








उपरोक्त शोभायात्रा के दौरान डीएवी के नौनिहालों ने विभिन्न प्रकार से सामाजिक चेतना को जागृत करने वाले नारों को बक्सर की जनता के समक्ष प्रस्तुत किया। शोभायात्रा के दौरान डीएवी के नौनिहालों ने विभिन्न प्रकार से सामाजिक चेतना को जागृत करने वाले नारों से बक्सर को गुंजायमान करते हुए जनता को महर्षि दयानंद सरस्वती जी के सामाजिक कल्याण संबंधी विचारों नारी शिक्षा, वेद ही शिक्षा का आधार है, प्रदूषण मुक्त नदियां, अज्ञानता एवं अधर्म का नाश, ज्ञान और धर्म की स्थापना, वेदों की महता तथा वेदों की ओर लौटो का संदेश दिया। महर्षि दयानंद सरस्वती, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, योगीराज श्रीकृष्ण, महात्मा हंसराज, स्वामी विरजानंद, स्वामी श्रद्धानंद के जयकारों से उनके शिक्षा एवं समाज के प्रति योगदान को नमन किया। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, अज्ञानता हटाओ गरीबी मिटाओ, बाल विवाह प्रतिबंधित हो, सभी भारतीय भाई-भाई, वेदों की ओर लौट चलो, वैदिक धर्म की जय, गौ माता की रक्षा हो, गंगा माता प्रदूषण मुक्त हो, धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जय,योगिराज श्रीकृष्ण की जय वेद की ज्योति जलती रहेगी आदि नारे प्रमुख थे।


उपरोक्त वर्णित शोभा यात्रा में नगर की जनता, व्यापारी वर्ग, बुद्धिजीवी, पत्रकार एवं शिक्षाविदों का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ। नगर के पंचमुखी हनुमान मंदिर, सत्यदेव गंज, यमुना चौक (रोटरी क्लब) द्वारा बच्चों को फल, मिठाइयां, बिस्कुट, शरबत, पानी एवं चाय की समुचित व्यवस्था की गई थी।
विद्यालय प्रधान सह क्षेत्रीय निदेशक वी आनंद ने कहा कि हम सभी लोगों को आज महर्षि दयानंद सरस्वती जी के आदर्शों का पालन करते हुए अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। नगर की जनता को चाहिए कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी के त्याग, तपस्या और आदर्शों को आत्मसात कर करें।

