पूर्णाहुति और विशाल भंडारा के साथ रामेश्वर नाथ मंदिर में चल रहे लक्ष्मी नारायण यज्ञ का हुआ समापन
सही ज्ञान हो जाने पर मानव ज्ञानी या भक्त की श्रेणी में आ जाता है : पौराणिक जी महाराज




न्यूज विजन | बक्सर
जीव जगत एवं जगदीश्वर अथवा जीव माया तथा शिव या सेवक, संसार तथा स्वामी इसी त्रिपुटी रहस्य को समझने पर सभी शास्त्रों ने जोर दिया है इस रहस्य का सही सही ज्ञान हो जाने पर मानव ज्ञानी या भक्त की श्रेणी में आ जाता है। उक्त बाते शहर के रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर में सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित 15 वे धर्मायोजन के दौरान लक्ष्मी नारायण यज्ञ में रविवार को कथा विश्राम के दौरान कृष्णानंद शास्त्री पौराणिक जी महाराज ने कहा।
उन्होंने कहा की श्रीमद् भागवत के परम श्रोता श्री परीक्षित जी को भगवान श्री कृष्ण की कथा भागवत का प्रवचन श्रवण करते हुए श्री सुखदेव जी ने यही बात बताई की राजन- मानव मात्र ही नहीं अपितु जीव मात्र ईश्वर का अंश है यही कारण है कि जीव जब मानव का तन प्राप्त करता है और संसार के सुखों का भोग करना प्रारंभ करता है तो वह भोग में इतना मशगूल हो जाता है कि भूल जाता है मैं कौन हूं, कहां से आया हूं। वह विस्मृति हो जाता है कि यहां इसका स्थाई ठिकाना नहीं है यहां से जाना है किंतु मुझे कहां जाना है इस पर वह विचार शून्य हो जाता है और यही मूल कारण है उसके पतन का। पतन यहीं से धीरे-धीरे प्रारंभ हो जाता है।
हे परीक्षित मैं भगवान का दास हूं संपूर्ण संसार भगवान की कृति है सबके स्वामी भगवान है मैं वस्तुओं का उपयोग करने वाला नहीं हूं सबके स्वामी भगवान है अतः प्रसाद समझकर या आशीर्वाद समझकर जीवन जीने हेतु वस्तु को प्रसाद रूप में ग्रहण कर भगवान की सेवा में तत्पर रहना मेरा परम कर्तव्य एवं जीवन का उद्देश्य तथा चरम लक्ष्य यही है। यही ज्ञान भागवत महापुराण से प्राप्त होता है। सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित इस यज्ञ में पूर्णाहुति 11 बजे हुई। वही संध्या 4 बजे कथा समापन के पश्चात विशाल भंडारा प्रारंभ हुआ। अपार जन समुदाय हजारों की संख्या में लाभान्वित हुआ। समिति आप सभी श्रद्धालुओं के प्रति आभार समर्पित करती है और अपेक्षा रखती है कि आप सभी का आशीर्वचन प्रतिवर्ष प्राप्त होता रहे।

