RELIGION

प्रभु श्रीराम की निकली बारात, शामिल हुआ पूरा देवलोक 

श्री सीताराम विवाह महोत्सव में बारात निकलने के पूर्व मटकोर व हल्दी की रस्म की गयी 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

अगहन मास की शुक्ल पक्ष के चतुर्थी को शहर के नया बाजार में सीताराम विवाह महोत्सव स्थल से बृहस्पतिवार को दोपहर बाद भगवन श्रीराम समेत चारों भाइयों की बरात की भव्य शोभायात्रा निकली गयी। इस दौरान भगवन के दर्शन को शहरवासीयों की सड़क के किनारे उमड़ पड़ी।

बारात में सबसे आगे चल रहे गणेश भगवान
बारात में शामिल कच्छप जी
बरात में शामिल शंकर भगवान

बारात देखने के लिए सड़क के दोनों तरफ स्वागत में खड़े रहे नगरवासी 

वही प्रभु श्रीराम के बारात में शामिल देवताओं की मनोहारी झांकियां कलियुग में त्रेतायुग की नजारा पेश कर रही थी। जिसके साक्षी बनने के लिए देश के कोने-कोने से साधु-संत व श्रद्धालु पहुंचे थे। श्रीराम बरात के इस अद्भुत नजारे की एक झलक पाने को बच्चे, बूढ़े या युवा दोनों तरफ सड़कों के किनारे पलक पांवड़े बिछाए उनकी राह निहार रहे थे। जिनमें महिलाओं की तादाद देखते ही बन रही थी।

प्रभुश्रीराम की बारात देखने के लिए खड़े लोग

 प्रभु श्रीराम की बारात में सबसे आगे गणेश जी चल रहे थे 

श्रीराम की बरात शोभायात्रा का अलौकिक नजारा देखने को मिल रहा था जहां लंबे काफिले में शुभ के प्रतीक नेवला, काकभुशुंडी तो थे ही, श्री गणेश जी, भगवान शिव, ब्रह्मा शामिल थे। इस कारवां में ऋषि-मुनियों के साथ मंत्री व अयोध्या नरेश दशरथ अलग-अलग रथों पर सवार होकर आकर्षण का केन्द्र बन रहे थे। इस आयोजन के जनक पूज्य संत श्री नारायण दास जी भक्तमाली मामाजी व उनके गुरू महर्षि खाकी बाबा के तैल चित्रों की झांकियां इस यात्रा की अगुवाई कर रही थी। उनके पीछे बैंड बाजों के साथ बारातियों की टोली भजन गाते हुए झूमती-नाचती चल रही थी।

बारात में नाचती गाती महिलाये

आयोजन स्थल से चली बरात अपने जनवासा महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय परिसर पहुंची। जहां मंगल गीतों की गायन से माहौल रसमयी हो गया। वहां जाने के बाद परिसर स्थित महोत्सव के प्रणेता नेहा निधि श्री नारायणदास जी भक्तमाली मामाजी के सद्गुरु पूज्य संत श्री खाकी बाबा के मंदिर में आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण जी महाराज के सान्निध्य में पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद मंगल गीतों व गालियों के बीच दूल्हे बने चारों भाईयों की जमकर खातिरदारी हुई। आश्रम के परिकरों ने जीजा स्वरूप श्रीराम सहित चारों भाइयों से हंसी-ठीठोली कर बारातियों को खूब रिझाया, तो मंगल गाली गाकर दूल्हे की बोलती भी बंद कर दिया। जिसे सुनकर दूल्हा श्रीराम समेत बराती आनंद विभोर हो गए।

इस रस्म को पूरा करने के बाद बराती शहर के विभिन्न सड़कों से होते हुए मामाजी की जन्म स्थली पांडेयपट्टी पहुंचे। इनके स्वागत को शहर में जगह-जगह रंगोलियां बनाई गईं थीं। बराती जिस किसी रास्ते से गुजर रहे थे उनके आगवानी में पहले से खड़े थे श्रद्धालु तथा भगवान श्रीराम की आरती उतार संतों को जलपान करा रहे थे। नगर भ्रमण के बाद बरात दूसरे पड़ाव पांडेयपट्टी पहुंची,जहां बारातियों को भोजन कराकर विवाह स्थल के लिए रवाना किया गया।

मट्कोर की रस्म अदा करती महिलाये

दोपहर में हल्दी मटकोड रस्म की हुयी अदायगी 

नया बाजार में आयोजित सिय-पिय मिलन समारोह के दौरान श्रीराम की बरात निकलने से पूर्व उन सभी रस्मों को पूरा किया गया। जिसका निर्वहन शादी से पूर्व किया जाता है। भगवान श्रीराम की बरात रवाना होने से पूर्व महिलाओं ने हल्दी व मटकोड़ की रस्म अदायगी की। “आनंद सगुन सुहावन हरदी लगावन हे.. तथा हरदिया बड़ी पातर हे..” आदि हल्दी गीतों को गाती हुई महिलाएं कुदाल से माटी की कुड़ाई की, फिर जनक नंदनी सीता व भगवान श्रीराम समेत चारों भाईयों को हल्दी का लेप लगाकर मंगल परंपराओं को जीवंत किया। इस दौरान  आश्रम के महंत राजाराम शरण दास जी एवं मलूक पीठाधीश्वर जगदगुरु श्री राजेंद्र देवाचार्य जी महाराज समेत अनेकों संत महात्मा शामिल हुए।

हल्दी की रस्म करते राजाराम शरण दास जि महाराज

बरात के दौरान महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय परिसर में परंपरागत मंगल गीत व गालियां गाकर बारातियों को निहाल कर दिया गया। इस दौरान पूज्य संत भक्तमाली जी द्वारा रचित “हवन बड़ा धीर हो पहुना के गरियईह जनि.. आदि मंगल गाली गाकर मिथिला वासियों ने भगवान श्रीराम समेत चारों भाईयों की भरपूर खिचाई की। इन गीतों के माध्यम से भगवान के प्रति भक्ति की जो ससुरारी रस धार बही उसकी अनुभूति अनुपम थी। मिथिला की पारंपरिक मंगल गाली को सुनकर बराती तथा संत व विद्वान भी भाव विभोर हो गए।

 अतिथि सत्कार के लिए जगह जगह बनाई गयी थी रंगोली 

अतिथि सत्कार के मामले में भगवान वामन की जन्म स्थली व महर्षि विश्वामित्र की तपस्थली बक्सर का कोई मिसाल नहीं है। त्रेता में भगवान श्रीराम द्वारा पांच ऋषियों के पास जाकर किए गए पंचकोसी परिक्रमा के क्रम में इसका पौराणिक उल्लेख भी मिलता है। जिसके मुताबिक आश्रमों पर जाने के बाद ऋषियों ने उनकी जी-जान से आवभगत की। अतिथि देवो भव: के अपने इस कर्तव्य का निर्वहन आज भी लोग बखूबी करते हैं। इसका नजारा उस समय देखने को मिला जब नगरवासी नया बाजार स्थित आश्रम से निकली श्रीराम बरात की शोभा यात्रा में शामिल देश के कोने-कोने से पधारे साधु-संतों व श्रद्धालुओं के स्वागत में पलक पावड़े बिछा दिए। उनकी सेवा व स्वागत में लोग अपने-अपने दरवाजों के सामने न केवल रंगोली बनाकर उनकी आगवानी किए, बल्कि रास्ते से गुजर रहे देव रथों पर पुष्प वर्षा भी कर रहे थे। उनके आवभगत में घंटों से खड़े लोग आग्रह के साथ उन्हें जलपान कराने के लिए भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे थे। ऐसा देख अन्य शहरों से पहुंचे श्रद्धालु काफी अभिभूत थे। शोभायात्रा में राजीव राय, झब्बू राय, दीपक सिंह, ओम जी यादव समेत अन्य बारात की व्यवस्था में जुटे रहे।

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