RELIGION

तस्वीरों में देखे महोत्सव : मंगल गीतों व हंसी ठिठोली के औलौकिक दृश्य के साथ 54 वां सिय-पिय मिलन महोत्सव में सिया के हुए प्रभु श्रीराम

ऐतिहासिक विवाह महोत्सव का देश के विभिन्न जगहों से आये संत व श्रद्धालु बने गवाह

न्यूज़ विज़न। बक्सर

शहर के नगर के नया बाजार में पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार के पुण्य स्मृति में चल रहे सीताराम विवाह महोत्सव के आठवें दिन अगहन शुक्ल पंचमी दिन रविवार की रात्री जहां हजारों हजार की संख्या में पहुंचे लोग मंगल गीतों के बीच कभी हंसी ठिठोली का औलौकिक दृश्य देखने को मिला 54 वें सिय-पिय मिलन महोत्सव में जहां मंगल गीतो के बीच मां सीता के मांग में भगवान श्री राम द्वारा सिंदूर भरते हीं जनक नंदनी मां सीता भगवान श्री राम के हो गई।

 

 

द्वारपूजा को जाती सखियाँ
घोड़े पर सवार होकर बारात जाते चारों दूल्हा सरकार
हाथी पर सवार हो बारात जाते राजा दसरथ

हाथी पर सवार हुए राजा दशरथ व गुरू वशिष्ठ तो घोड़े पर पहुंचे दुल्हा सरकार

 

प्रभु श्रीराम के बारात में गुरु वशिष्ठ व राजा दशरथ हाथी पर सवार होकर तथा चारों भाई राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न घोड़ा पर सवार होकर जनकपुर के राजा जनक के द्वार पहुंचते हैं। इस दौरान बारात में शामिल श्रद्धालुगण गाते-थिरकते नजर आए महाराज जनक के द्वार पर द्वारपूजा की रस्म पूरी की जाती है। जिसके बाद दूल्हा सरकार के साथ मजाक चलता है और मंडप में धान कुटाई का रस्म की जाती है। जिसके बाद पुन: चारों भाई जनवासे में लौट जाते हैं। इस दौरान विवाह लीला की देखने के लिए दूर-दराज से कई श्रद्धालु पूरी रात इस अलौकिक दृश्य के साक्षी बन स्वयं की अभिभूत महसूस कर रहे थे।

 

कन्या परीक्षण विधि के पश्चात् अपनी दुल्हनों के साथ चारों दूल्हा सरकार

…….और कन्या परीक्षण में फंस गए चुलबुलवा दूल्हा लक्ष्मण जी

 

विवाह कन्या परीक्षण की विधि शुरु की जाती है, जिसमें चारों भाइयों के हाथों में आम का पल्लव देती हैं और अपनी दुल्हन के उपर डाल कर उन्हें पहचानने को कहती हैं। जिसमें तीन भाई तो अपनी दुल्हन को पहचान लेते हैं परंतु, लक्ष्मण जी के साथ सखियां मजाक कर देती हैं और दुल्हन के जगह पुरूष को बैठा देती हैं क्योंकि, लक्ष्मण सबसे ज्यादा चुलबुले दुल्हा है और अपने को सबसे चतुर दुल्हा मानते हैं। जैसे ही दुल्हन के रुप में मौजूद जनकपुर के पुरुष सामने आता है वह लक्ष्मण से अनुरोध करता है कि वह उसे भी साथ अयोध्या ले चलने की जिद करने लगता है। बाद में लक्ष्मण को उनकी असली दुल्हन के दर्शन कराए जाते हैं।

राजा जनक व माता सुनयना ने अश्रु भरे आँखों से किया कन्यादान

 

कन्या परिक्षण विधि संपन्न होने के पश्चात पुनः मंडप में चारों दूल्हा सरकार को लेकर सखिया जाती है जहॉ नहछू विधि आरम्भ होता है। इस दौरान नाऊन प्रभु का नाख़ून देखते ही आश्चार्यचकित हो जाती है और कहती है की ऐसा पहले कभी नहीं देखा था। और नहछू विधि संपन्न कराया जाता है। इस विधि को संपन्न होने के बाद चारो दुल्हन मंडप में आती है और राजा जनक व माता सुनयना चारों पुत्रियों का अश्रु भरे आँखों से कन्यादान करते है। अंत में लावा मिले विधि के साथ चुमावन और कोहबर विधि की जाती है।

धान कुटाई की रश्म करते चारों दूल्हा

विवाह की सभी विधियां आश्रम के महंत राजाराम शरण दास जी महाराज के देखरेख में होता है। वही लीला के दौरान मलूक पीठाधीश्वर, राजेंद्र देवाचार्य जी महाराज, बक्सर के पूर्व एसपी परेश सक्सेना, आचार्य रणधीर ओझा के अलावा महोत्सव की व्यवस्था में राजू राय उर्फ़ झब्बू , दीपक सिंह, आश्रम के मिडिया प्रभारी राजेश सिन्हा के साथ देश के विभिन्न राज्यों से आये संत व श्रद्धालु मौजूद रहे।

विवाह गीत गाते राजाराम शरण दास जी महाराज

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button