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बक्सर में विश्वामित्र कॉरिडोर बनेगा पलायन रोकने का आधार, राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे ने किया दावा

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 
बिहार से अन्य प्रदेशों की ओर जाने वाली ट्रेनों में श्रमिकों की लगातार बढ़ती भीड़ और मजदूरों के पलायन की गंभीर स्थिति को देखते हुए महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक सह विश्वामित्र सेना के प्रमुख राजकुमार चौबे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि आने वाले एक-दो वर्षों में बक्सर में “विश्वामित्र कॉरिडोर” और सनातन संस्कृति को केंद्र में रखकर जो विकास की योजनाएं चल रही हैं, उनसे न सिर्फ इस ऐतिहासिक नगर का कायाकल्प होगा, बल्कि पुरे शाहाबाद क्षेत्र से मजदूरों के पलायन में भी उल्लेखनीय कमी आएगी।

राजकुमार चौबे ने मथुरा, अयोध्या और काशी जैसे पवित्र स्थलों का उदाहरण देते हुए कहा कि जब इन जगहों का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विकास हुआ, तो वहां के आसपास के जिलों में भी रोजगार और व्यापार के नए अवसर उत्पन्न हुए। लोगों को अब अन्य राज्यों की ओर रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़ रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि बक्सर में भी इसी तरह जब विश्वामित्र कॉरिडोर का निर्माण कार्य पूरा होगा, तो यहां पर्यटन, व्यापार, शिक्षा, और सेवा क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं जन्म लेंगी।

 

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सक्रिय है फाउंडेशन

राजकुमार चौबे ने जानकारी दी कि महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन पिछले पाँच वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य और सनातन धर्म के उत्थान के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क स्वास्थ्य शिविरों, विद्यालयों को संसाधन उपलब्ध कराने और वेद-पुराण आधारित शिक्षा के प्रचार-प्रसार में संस्था ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि “विश्वामित्र कॉरिडोर” न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बक्सर को देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में स्थान दिलाएगा, बल्कि यह परियोजना स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी सशक्त करेगी। इसके साथ ही पलायन की समस्या, जो इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक संतुलन को बिगाड़ रही है, उस पर लगाम लगेगी।

सनातन संस्कृति को मिलेगा वैश्विक मंच

चौबे ने कहा कि बक्सर जैसे ऐतिहासिक नगर, जहां ऋषि विश्वामित्र का जन्मस्थान और कर्मभूमि रही है, उसे देश और विश्व के धार्मिक मानचित्र पर स्थापित करना फाउंडेशन का प्रमुख उद्देश्य है। इसके माध्यम से सनातन संस्कृति, जीवन मूल्यों और भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई जाएगी।

 

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