डुमरांव नगर परिषद क्षेत्र में ऐतिहासिक पोखरा पर अतिक्रमण का प्रयास, ग्रामीणों में उबाल, विश्वामित्र सेना उतरी मैदान में




न्यूज़ विज़न। बक्सर
जिला के डुमरांव नगर परिषद अंतर्गत वार्ड 13 पुराना भोजपुर एवं नवाडेरा क्षेत्र स्थित चार सौ वर्ष पुराना ऐतिहासिक पोखरा इन दिनों भूमि माफियाओं के निशाने पर है। स्थानीय लोगों में इस मुद्दे को लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है। यह पोखरा 1857 की क्रांति में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा सार्वजनिक हित में ग्रामीणों को सौंपा गया था। तब से अब तक इसका उपयोग सामूहिक रूप से मछली पालन, छठ पूजा, मंदिर सेवा और अन्य जनहित कार्यों के लिए होता रहा है।








ग्रामीणों का आरोप है कि वर्ष 2023 से ही इस ऐतिहासिक भूमि पर कब्जे की कोशिश की जा रही है। बावजूद इसके कि ग्रामीणों ने समय-समय पर विरोध किया, प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उल्टे, विरोध करने वाले ग्रामीणों पर ही झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए गए, जिससे जनाक्रोश और गहरा गया है। इस अन्याय के खिलाफ अब विश्वामित्र सेना संस्था ने मोर्चा संभाल लिया है। गुरुवार को संस्था के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि स्वतंत्रता सेनानियों की यह धरोहर किसी भी हाल में भूमि माफियाओं के कब्जे में नहीं जाने दी जाएगी।




राजकुमार चौबे ने कहा, “यह भूमि राष्ट्र के लिए बलिदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की अमूल्य धरोहर है, जिस पर कब्जा देश के इतिहास और संस्कृति पर हमला है। प्रशासन अगर अब भी निष्क्रिय रहा तो संस्था कानूनी और जन आंदोलन दोनों रास्तों पर चलेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि इस रमणीय स्थल पर हजारों लोगों की आस्था जुड़ी है। छठ जैसे महापर्व का आयोजन यहीं होता है। पोखरा और मंदिर का इतिहास करीब 400 वर्षों पुराना है। श्री चौबे ने प्रशासन से यह भी सवाल किया कि क्या हम फिर से मुगलों के शासनकाल में लौट आए हैं, जहां आस्था और अधिकारों को रौंदा जा रहा है?
विश्वामित्र सेना ने यह भी स्पष्ट किया कि संस्था पहले भी बक्सर के रामरेखा घाट और चौसा के चयन ऋषि आश्रम जैसे ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण में सक्रिय रही है और इस बार भी अंतिम दम तक संघर्ष करेगी। ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि चंद्र प्रकाश जायसवाल, चंद्र जायसवाल, प्रेमचंद जायसवाल, गुलाबचंद जायसवाल, सतीश चंद्र जायसवाल और लक्ष्मण प्रसाद जायसवाल नामक स्थानीय माफिया लगातार इस भूमि पर कब्जे का प्रयास कर रहे हैं। स्वतंत्रता सेनानी परिवार के वंशजों ने भी लिखित रूप में प्रमाण दिया है कि यह भूमि सार्वजनिक हित में दान की गई थी।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से भूमि की वास्तविक स्थिति की जांच की जाए, अतिक्रमण रोकने के लिए कार्रवाई की जाए और झूठे मुकदमे करने वालों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। स्थिति गंभीर होती जा रही है, ग्रामीणों ने बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। अब यह इलाका संघर्ष के रास्ते पर चल पड़ा है और सभी की निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं।
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