अंकित द्विवेदी को उत्कृष्ट शोध के लिए मिला डाॅ विजय श्री स्मृति पुरस्कार
तिलक मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में आयोजित व भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्राप्त हुआ पुरस्कार




न्यूज़ विज़न। बक्सर
सोमवार को सदर प्रखंड के नदाँव गांव के स्वतंत्रता सेनानी स्व. जितेंद्र नाथ द्विवेदी के पौत्र व स्व. अनुज द्विवेदी के पुत्र अंकित द्विवेदी को मारवाड़ी काॅलेज, तिलक मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में आयोजित व भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दर्शन परिषद् बिहार के 46 वें वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन में डाॅ विजय श्री स्मृति युवा दार्शनिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।








ज्ञात हो कि यह पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र प्रस्तुत करने के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता है। इस वर्ष यह पुरस्कार अंकित द्विवेदी के शोध पत्र “धम्मपद में वर्णित लोभ की अवधारण : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन” विषय को दिया गया। हमसे बातचीत के क्रम में अंकित द्विवेदी ने बताया कि इस पुरस्कार के लिए मुख्य रूप से बिहार के अतिरिक्त झारखंड, बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के शोध छात्रों ने भागीदारी की थी लेकिन मूल्यांकन समिति के नीतिशास्त्र विभाग से सिर्फ उनका ही नाम चयन किया। धम्मपद में लोभ की अवधारणा पर बोलते हुए अंकित ने कहा कि धम्मपद में लोभ का चित्रण न केवल एक प्राचीन नैतिक शिक्षा है, बल्कि यह मानव मनोविज्ञान की एक गहरी समझ प्रस्तुत करता है। आधुनिक समाज में, जहां भौतिक समृद्धि अक्सर सफलता का पर्याय मानी जाती है, धम्मपद की ये शिक्षाएं हमें आंतरिक शांति और संतोष की ओर लौटने का आह्वान करती हैं।



पूर्व में भी इसी वर्ष अक्टूबर में अंकित को दर्शन परिषद (मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़) द्वारा भी युवा दार्शनिक पुरस्कार मिल चुका है। वर्तमान में अंकित नव नालंदा महाविहार (संस्कृति मंत्रालय) में बौद्ध अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ मुकेश कुमार वर्मा के मार्गदर्शन में शोध कर रहे है। इससे पूर्व अंकित इलाहाबाद विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय व जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र भी रह चुके है। इस मौके पर नदाँव के वार्ड पार्षद मंटू कुमार बबुआजी, भाजयुमो युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष सौरभ तिवारी, शिक्षक अभय दुबे, अमित दुबे, दीपक कुमार, अनमोल दुबे, अंकित सिंह, गोलू सिंह, जुल्फिकार अनवर सहित दर्जनों के अपनी खुशी जाहिर की है।

