RELIGION

भोजपुरी दुलार मंच द्वारा कुष्मांडा देवी की की गयी पूजा अर्चना, नवरात्री के महत्त्व पर हुआ चर्चा

न्यूज़ विज़न । बक्सर

बुधवार को भोजपुरी दुलार मंच के तत्वाधान में नवरात्रि के पावन पर्व पर कुष्मांडा देवी (चतुर्थी दिवस) माता की पूजन किया गया और पार्वती निवास परिसर में नवरात्रि के महत्व विषयक परिचर्चा मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश केसरी पवननन्दन‌ के संयोजन एवं संचालन में सम्पन्न हुआ।

आयोजित पूजन एवं संगोष्ठी का उद्घाटन साहित्यकार, शिव बहादुर पांडेय प्रीतिम द्वारा दीप प्रज्वलित करके एवं माता जी के चित्र पर अडहूल फूल की माला समर्पित करके किया गया। उद्घाटनकर्ता प्रीतम जी ने कहा कि माता दुर्गा जी का पर्व नौ दिनोंं को मनाया जाता है, जिसके अतंर्गत नौ देवी की पूजा की जाती है,और प्रत्येक दिन की पूजा की अलग_अलग विधि विधान भी होता है एवं फल इत्यादि भी अलग अलग होता है।
उक्त कार्यक्रम में पंकज कुमार, हनुमान जी, मातृ शक्ति के रूप मे़ं सुनीता देवी सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे। उपस्थित महानुभावों ने भी माता जी केप्रत अपने उद्गगार व्यक्त करते हुए, माता जी केप्रति अपनी सकारात्मक भावना प्रकट करते हुए प्रार्थना किये भी मां आप यहीआशीर्वाद दीजिए की मानव मानवता को अपनाकर विश्व में शांति की तरफ उन्मुक्त रहे।

संचालन कर्ता डा०पवननन्दन ने अपनी अभिव्यक्ति के क्रम में कहे कि जब भी मौसम में बदलावट की प्रक्रिया की शुरुआत होती है, तब ही नवरात्रि के पूजन का अवसर आता है.अर्थात चैत्र माह एवं आश्विन के शुक्ल पक्ष को नवरात्रि की पूजन की प्रक्रिया होती है. चैत्र माह की नवरात्रि को वासंतिक एवं आश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है.और सबसे बडी बात की, दोनो नवरात्रि में भगवान श्री रामकी पूजा होती है, चैत्र की नवरात्रि में भगवान राम को जन्मोत्सव मनाया जाता है,जबकि शारदीय नवरात्रि में असत्य केप्रतीक राक्षस अर्थात, महिषासुर जैसे अनेकराक्षसों का संहार माता दुर्गा करती है और आतातायी काप्रतीक रावण का संहार स्वयं भगवान श्रीराम करते है।

विश्व में फैले आताताइयों कासंहार मां दुर्गा देवी द्वारा ही संभवहै. मां दुर्गा शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजी जाती है. शक्ति की आवश्यकता प्रत्येक प्राणी को हर वक्त पडती रहती है, बगैर शक्ति के एक पल भीसभी पर भारी पड़े लगता है। मां की चतुर्थी का पूजन माता कुष्मा़ंडी के रूप मे़ं होताहै, माता कुष्मांडी की पूजा करने से रोग_शोक आदि खत्म होजाता है. अत एव मां की पूजन करके हम सभी अपने_अपने अंत:करण में सात्विक, सकारात्मक एवं आत्मिक शक्ति का संचार करते हुए, देश,परिवार एवं राष्ट्र सेवा का व्रत लेकर मानव जीवन को धन्य बनाने प्रयास करना हम सभी का पावन कर्तव्य बनता है।

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