भोजपुरी साहित्य मण्डल द्वारा ‘हिन्दी भाषा और उसकी चुनौतियाँ’ विषय पर सेमिनार का आयोजन




न्यूज़ विज़न। बक्सर
शहर के भू. ब्रा. +2 विद्यालय के सभागार में रविवार को देश की सबसे पुरानी साहित्यिक संस्था भोजपुरी साहित्य मण्डल के तत्वावधान में ‘हिन्दी भाषा और उसकी चुनौतियाँ’ विषय पर एक भव्य सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भोजपुरी साहित्य मण्डल के अध्यक्ष प्रो. अरुण मोहन भारवि ने की। संचालन का दायित्व महासचिव डॉ. वैरागी, प्रभाष चतुर्वेदी एवं कवि शिव बहादुर प्रीतम ने संयुक्त रूप से निभाया। जबकि अंत में धन्यवाद ज्ञापन संस्था के संरक्षक एवं अवकाश प्राप्त शिक्षक गणेश उपाध्याय ने किया।







सेमिनार के प्रथम सत्र में विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार रखे। जिनमे मुख्य रूप से डॉ. वैरागी ने कहा कि हिन्दी केवल राजभाषा ही नहीं बल्कि हमारी मातृभाषा भी है। हमें इसके संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए एकजुट होकर कार्य करना चाहिए।प्रो. अरुण मोहन भारवि ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी को किसी चुनौती की आवश्यकता नहीं है। यह शिक्षा की भाषा, व्यापार की भाषा, रोजगार की भाषा और कंप्यूटर की भाषा है। यह स्वयं बढ़ रही है और विश्व स्तर पर स्वीकार की जा रही है। इसका विकास रुक नहीं सकता, क्योंकि यह जनता की भाषा है, क्रांति की भाषा है और संघर्ष की भाषा है। प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. महेंद्र प्रसाद ने हिन्दी में लोक भाषा के शब्दों के प्रयोग की विशेषता पर बल दिया और कहा कि यही इसे जनमानस से जोड़ता है। वहीं कांग्रेस नेता श्री कामेश्वर पांडेय ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हिन्दी को प्रोत्साहन देने के लिए हिन्दी अंकों के प्रयोग को भी बढ़ावा देना चाहिए।




कार्यक्रम के दूसरे सत्र में काव्य पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें अनेक कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कविता पाठ करने वाले प्रमुख कवियों में शिव बहादुर प्रीतम, रामेश्वर मिश्र बिहान, संजय सागर, कुशध्वज सिंह मुन्ना, महेश्वर ओझा, वशिष्ठ पाण्डे, शशि भूषण मिश्रा, फारुख सैफी, नर्वदेश्वर उपाध्याय, राम बहादुर राय, धनंजय गुडाकेश, पंकज पांडे, राजा रमन पांडे, उमेश पाठक रवि, कवि राही, श्री रामेश्वर प्रसाद वर्मा, अभय तिवारी, सुरेश सरगम, विनोद मिश्र, डॉ. शशांक शेखर, रामाधार सिंह, मन्नूजी, प्राचार्य संतोष दूबे, सुनीता यादव शामिल रहे। इसके अलावा एस.पी.एस. स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं में प्रमोद सिंह, खुशी दुबे, ज्योति शर्मा, नेहा दूबे, उजाला पांडे, जूही केशरी, सोनी केशरी, रचना कुमारी, नीतू कुमारी, विमलेश मिश्र समेत अनेक साहित्य प्रेमियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
साहित्य प्रेमियों की बड़ी मौजूदगी
पूरे आयोजन के दौरान सभागार खचाखच भरा रहा। जिले के विभिन्न हिस्सों से आए साहित्य प्रेमियों, कवियों और शिक्षकों ने इस सेमिनार को एक सफल और ऐतिहासिक रूप दिया। इस तरह भोजपुरी साहित्य मण्डल द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल हिन्दी भाषा की प्रासंगिकता और उसकी चुनौतियों पर विमर्श का मंच बना, बल्कि कविताओं के माधुर्य से यह आयोजन साहित्यिक चेतना और सांस्कृतिक गौरव का भी प्रतीक बन गया।
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