RELIGION

वामन द्वादशी पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, गंगा-ठोरा संगम में किया पुण्य स्नान

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 
भगवान वामन के जन्मोत्सव वामन द्वादशी के अवसर पर गुरुवार को गंगा और ठोरा नदी के संगम पर आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। केंद्रीय कारा (सेंट्रल जेल) के समीप स्थित इस पावन स्थल पर सुबह से ही स्नानार्थियों का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने शास्त्र सम्मत विधि-विधान से पुण्य स्नान किया और भगवान वामन की आराधना कर दान-पुण्य किया।

 

दूर-दराज़ से आए श्रद्धालु एक दिन पहले ही संगम तट पर डेरा डाल चुके थे। उन्होंने मासिक एकादशी का व्रत रखा और रातभर भजन-कीर्तन कर भगवान वामन की स्तुति में लीन रहे। सूर्योदय होते ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा-ठोरा संगम में पुण्य स्नान करने पहुंचे। महिलाओं की संख्या सबसे अधिक रही। स्नान के बाद सभी श्रद्धालु सेंट्रल जेल परिसर स्थित बाबा वामनेश्वर मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए उमड़े। मंदिर में दोपहर के समय भगवान वामन का जन्मोत्सव मनाया गया। घंटे-घड़ियाल और शंख ध्वनि के बीच पूजन-अर्चन, आरती और स्तुति गान हुआ। भगवान को महाप्रसाद अर्पित किया गया और उसके बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरित किया गया। भक्तों ने प्रसाद स्वरूप पारंपरिक लिट्टी-चोखा का आनंद भी लिया।

 

पौराणिक महत्व

मान्यता है कि त्रेता युग में भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी को श्रवण नक्षत्र में भगवान विष्णु ने महर्षि कश्यप और माता अदिति के पुत्र के रूप में बक्सर की धरती पर वामन अवतार लिया था। इसी कारण बक्सर का एक पौराणिक नाम वामनाश्रम भी माना जाता है। यही वजह है कि वामन द्वादशी पर यहां हर साल विशाल मेले का आयोजन होता है।

सड़कें श्रद्धालुओं से पटीं, मेला जैसा माहौल

इस अवसर पर सोमेश्वर स्थान से लेकर त्रिमुहानी तक की सड़कें पूरी तरह श्रद्धालुओं से पटी रहीं। भीड़ के कारण जगह-जगह जाम की स्थिति रही। वहीं, संगम और मंदिर परिसर के आसपास मेला सा माहौल रहा। जलेबी, चाट, पकौड़ी समेत स्वादिष्ट पकवानों की दुकानें सजी रहीं। साथ ही श्रृंगार और महिलाओं से संबंधित वस्त्र-आभूषण की दुकानों पर महिलाओं की खासी भीड़ रही।

आस्था और उल्लास का संगम

दिनभर चले इस उत्सव में श्रद्धालु भक्ति और उल्लास में डूबे रहे। गंगा-ठोरा संगम पर डुबकी लगाने से लेकर बाबा वामनेश्वर और भगवान वामन के पूजन तक, पूरा वातावरण आध्यात्मिक और पावन हो उठा। देर शाम तक श्रद्धालुओं का आवागमन जारी रहा और बक्सर एक बार फिर वामन अवतार की महिमा से गुंजायमान हो गया।

 

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