“भारत के बौद्धिक इतिहास की विस्मृत परंपराओं के इतिहास का दस्तावेजीकरण जरूरी हैं” : मणीन्द्र नाथ ठाकुर
क्रिएटिव हिस्ट्री के वेबसाइट का हुआ उदघाटन, www.creativehistory.in
न्यूज़ विज़न। बक्सर
भारत में ज्ञान की अनेक धाराएं रही हैं। एक समय बिहार के वैशाली के आसपास का क्षेत्र उसका केंद्र रहा हैं जहां हिंदू, बौद्ध, जैन आदि ज्ञान एवं दर्शन की अनेक परम्परों के बीच संवाद हुआ। बौद्धिक इतिहास की इन विस्मृत परंपराओं की खोज और उसका दस्तावेजीकरण करना जरूरी हैं।” ये बातें क्रिएटिव हिस्ट्री, समाजवादी शिक्षा संस्थान, रंगश्री, परम्परा जेएनयू स्कॉलर ग्रुप और बक्सर इतिहास संस्थान द्वारा दिल्ली के सेकुलर हाउस में आयोजित पहला क्रिएटिव हिस्ट्री व्याख्यान में प्रसिद्ध राजनीतिक समाजशास्त्री मणीन्द्र नाथ ठाकुर ने कही। इसी क्रम में 17 वें कुंवर सिंह स्मृति व्याख्यान देते हुए फारसी के विद्वान शायर अखलाक अहमद आहन ने कहा कि “1857 का संघर्ष सिर्फ राजनीतिक ही नहीं था, बल्कि उसके सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ भी थे।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कवि और कलाकार लीलाधर मंडलोई ने जहां इतिहास लेखन के साहित्यिक स्रोतों की बात की वहीं प्रसिद्ध इतिहासकार और चर्चित किताब ’18 वीं सदी के जमींदार’ के लेखक एस एन आर रिजवी ने इतिहास पर हो रहे हमले और बन रहे नए इतिहास पर बारीकी से विचार करने की मांग की। शुरू में थीम नोट देते हुए इतिहासकार रश्मि चौधरी ने हाल के वर्षों में समाज विज्ञान के क्षेत्र में आए सैद्धांतिक बदलाव की ओर संकेत किया, वहीं सामाजिक चिंतक प्रशांत सी वाजपेई ने 1857 के महत्व पर बात किया। नाटककार महेंद्र प्रसाद सिंह ने कला की दुनिया में बन रहे नए संदर्भों पर विचार करने की बात कहीं।
10 मई 1857 की क्रांति की याद में हुए इस परिसंवाद में सबसे महत्वपूर्ण था 1857 पर लिखित कविताओं का पूनम एस कुदेसिया, आशीष कुमार पाण्डेय, प्रदीप कुमार, अजय कुमार यादव, धीरेश तिवारी, अभिषेक पाण्डेय, पुष्पराज यादव, दिव्य प्रकाश और गणेशी लाल द्वारा पाठ और क्रिएटिव हिस्ट्री द्वारा ग्रामीण इतिहास एवं इतिहास के नए स्रोतों पर केंद्रित वेबसाइट www.creativehistory.in के उदघाटन का, ताकि उस नए इतिहास का दस्तावेजीकरण हो सकें जिसकी तारीफ प्रसिद्ध अर्थ विशेषज्ञ अनिल कुमार गोयल, आईटी सेक्टर से जुड़े श्रीकृष्णा, रामाकांत उपाध्याय, प्रशांत सी बाजपेई, रश्मि चौधरी, सुनील सुधाकर, उदय शंकर, बृजभूषण चौबे आदि ने संकेत किया।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए चर्चित लेखक देवेंद्र चौबे ने कहा कि “क्रियेटिव हिस्ट्री द्वारा ग्रामीण इतिहास इतिहास की यह नई धारा भारतीय इतिहास के उन पन्नों को टटोलने का प्रयास कर रही है जिसके मुख्यधारा के इतिहासकारों ने विस्मृत कर दिया था।”