2024 का चुनाव तय करेगा कि देश में लोकतंत्र रहेगा या राजतंत्र वापस होगा : दीपांकर भट्टाचार्य
भाकपा माले का जिलास्तरीय कन्वेंशन का नगर भवन में हुआ आयोजन




न्यूज विजन | बक्सर
पूरा देश संकट में है, देश को संकट से उबारने के लिए बिहार आगे बढ़े। बिहार में व्यापक एकता का निर्माण हुआ है और इसी दिशा में हमलोग आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी को मजबूत बनाओ और महागठबंधन को धारदार बनाओ। 2024 का लोकसभा चुनाव काफी अहम है। यह चुनाव तय करेगा कि देश में लोकतंत्र रहेगा या राजतंत्र वापस होगा। उक्त बाते दीपांकर भट्टाचार्य ने बुधवार को भाकपा-माले की ओर से नगर भवन में आयोजित जिला स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि समय काफी कठिन है। आज जिस दौर से गुजर रहे हैं, एेसा दौर हमने कभी नहीं देखा। ऐसी सरकार जो देश में चल रही है ऐसी ये समय ना तो देखा था और ना ही सोचा था। पूरा देश परेशान है। समझना होगा कि देश किधर जा रहा है।
नये संसद भवन का निर्माण हुआ। सवाल यह है कि क्या नये संसद भवन की आवश्यकता थी क्या। बिना किसी चर्चा के सरकार ने तय कर लिया कि नया संसद भवन बनाना है, वह भी कोविड के दौर में। कोविड के समय में लोग मर रहे थे। गंगा में लाशें बह रही थी। लॉकडाउन में रोजगार खोकर मुंबई, मद्रास समेत अन्य जगहों से बिहार के लोग पैदल घर लौट रहे थे। उस दौर में 20 हजार करोड़ का योजना तय कर लिया गया। संसद अगर बना भी रहे हैं तो सवाल खड़ा हुआ उदघाटन कौन करेगा। संसद का परिभाषा है। राष्ट्रपति, लोक सभा और राज्य सभा को मिलाकर संसद बनता है। संविधान के अनुसार राष्ट्रपति को जो हक मिलना चाहिए था वह नहीं दिया गया। नये संसद का शीलान्यास और उदघाटन में नरेंद्र मोदी रहे। राष्ट्रपति को आमंत्रित भी नहीं किया गया।
तमिलनाडु से सेंगोल लाया गया। वह राजदंड का प्रतीक है। तमीलनाडु से साधु आए। सेंगोल को संसद भवन में स्थापित किया गया। नेहरू ने इसे अजायब घर में रखा था। पुराना इतिहास है कि देश में राजवाड़े होते थे। उस जमाने की चीजें अजायबघर में रखा जाता है। संसद संविधान का आंगन है। इस आंगन में सेंगोल का क्या काम है हिन्दुस्तान पूछ रहा है। यह देश लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र की जननी में नया सम्राट आ गया। संसद भवन का उदघाटन हो रहा था और महिला पहलवानों के साथ जो बर्ताव हुआ उसे पूरा देश देखा। दिल्ली से संदेश दिया गया अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले लोगों को। भुल जाओ। यहां सेंगोल के राजा आ गये हैं। अब हिंदुस्तान में लोकतंत्र की जगह राजतंत्र वापस आ गया है। उन्होंने कहा कि चुनाव की डगर कठिन है। लेकिन, सभी विपक्षी दल एक हो रहे हैं। भाकपा-माले के क्रांतिकारी कार्यकर्ता बुथ स्तर तक मेहनत करें तो यह चुनाव को निकालने में मुश्किल नहीं होगी।

बिना घोषणा के मोदी ने हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया: अजीत सिंह
डुमरांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक अजीत सिंह कुशवाहा ने कहा कि देश के निजाम लड़ाई लड़ने वाले साथी एकजुट हो रहे हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जनलुभावन नारा देकर गद्दी पर भाजपा की सरकार स्थापित हुई। काला धन वापस लाने, रोजगार, शिक्षा आदि के वादे जमींदोज हो गये। इन मुद्दों पर अब तो मोदी सरकार बात तक नहीं करती। इसकी जगह रामलला का मंदिर, बक्सर में 1 हजार फीट की भगवान श्रीराम की प्रतिमा बनाने की बात करते हैं। देश के तमाम खनीज पदार्थ को अंबानी और अडानी को दिया जा रहा है। उन्होंने मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि साधु का काम त्याग करना होता है। लेकिन, कुछ ऐसे साधु हैं जो हिमालय से लौट आए। संसद में सेंगोल को स्थापित कर बिना घोषणा किए हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया गया। एेसी सरकार के खिलाफ लड़ाई ठन गई है। भाकपा-माले ने जंग का एेलान कर दिया है। बक्सर के सांसद और दिल्ली से मोदी को सत्ता से हटाने की लड़ाई है।








पहले से ही बक्सर वामपंथियों का गढ़ रहा है: मंजू प्रकाश
पूर्व विधायक मंजू प्रकाश ने कहा कि आज मैं भाकपा-माले के सदस्य के रूप में खड़ी हूं। हमारा देश विकट परिस्थिति से गुजर रहा है। बक्सर बहुत पहले से किसी न किसी रूप से वामपंथियों का गढ़ रहा है। समय बदलने के साथ यहां बाहर के लोग नेतृत्व कर रहे हैं। भाजपा भगाओ-देश बचाओ के लिए हम जुटे हैं। प्रतिनिधि के चुनाव के दौरान जनता भटक जाती है। उसे योग्य उम्मीदवार चुनना चाहिए। लेकिन जब भी चुनाव सामने आता है तो वह अपने जात का एमपी और एमएलए खोजने लगते हैं। विचारधारा को बदलने की आवश्यकता है। बक्सर का बहुत बड़ा दुर्भाग्य रहा कि बाहर के लोग यहां से जीत रहे हैं। कहा कि हमारा देश संविधान से चलता है और संविधान से ही चलेगा। हमे गुलाम बनाने की कोशिश हो रही है। इस लिए इस बार की लड़ाई में मोदी सरकार को सत्ता से उतारने की लड़ाई है।

