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साईकिल यात्रा पर निकले पद्मश्री डॉ किरण सेठ पहुंचे फाउंडेशन स्कूल, मतदाता जागरूकता के साथ युवाओं को तनाव रहित जीवन का दिया मूल मंत्र

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

सोमवार को शहर के गुरुदास मठिया लालगंज स्थित फाउंडेशन स्कूल में मतदाता जागरूकता की अलख जगाने देश के विभिन्न राज्यों से होते हुए साइकिल यात्रा पर निकलें आईआईटी दिल्ली से सेवानिवृत्त प्रोफेसर व पद्मश्री डॉ किरण सेठ पहुंचे। जिन्होंने मतदाता जागरूकता का अलख जगाने के साथ युवाओं को  तनाव रहित जीवन का मूल मंत्र भी दिए।

 

स्पीक मैके के संस्थापक पद्मश्री डॉक्टर किरण सेठ की यह यात्रा मतदाता जागरूकता, पर्यावरण से मानव के रिश्ते को और मजबूत करने के साथ युवाओं के बीच बढ़ रहे तनाव, अवसाद को लेकर निदान एवं जागरूकता को लेकर है। स्पिक मैके एक राष्ट्रव्यापी, स्वैच्छिक संगठन है, जो युवाओं के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति के प्रचार के लिए सोसाइटी के रूप में जाना जाता है। स्पीक मैके की स्थापना 1977 में आईआईटी-दिल्ली में प्रोफेसर-एमेरिटस डॉ. किरण सेठ द्वारा की गई थी, जिन्हें 2009 में कला में उनके योगदान के लिए “पद्म श्री” से सम्मानित किया गया। करीब 74 वर्ष के डॉ. सेठ 15 अगस्त 2022 से देशव्यापी साइकिल यात्रा पर है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक का सफर तय करने के बाद डॉ. सेठ अब दिल्ली लौट रहे हैं।

पिछले चार दशकों के दौरान देश के सभी स्कूलों और कॉलेजों में लाखों छात्रों के बीच स्पिक मैक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इन्हीं संदेशों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए पद्मश्री डॉ. सेठ ने फाउंडेशन स्कूल के छात्र, शिक्षकों एवं शहर के बुद्धिजीवी वर्ग के साथ परिचर्चा भी किया। जीवन में लाख संघर्ष एवं झंझावात की उपस्थिति क्यों न हो उसके मूल में जीवटता का एक ऐसा हिस्सा होता है जो जीवन में उमंग को बनाए रखता है। यह सारी चीजें कुछ अति विशेष बाहर से शामिल न था यह आरंभ से हमारे शिक्षा व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा रहा है किन्तु कालान्तर में बाजार और प्रतिस्पर्धा के बदले स्वरूप में व्यवस्था बदलती सी चली गई। हमारी समग्र शिक्षा एवं विभिन्न कला जिसमें मानव मन में संवेदनाएँ उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने तथा चिंतन को मोड़ने, अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता होती है। परिवार, क्षेत्र, धर्म, भाषा और जाति आदि की सीमाएँ मिटाकर विस्तृत और व्यापक प्रदान करती कलाएं हमारे शिक्षा व्यवस्था की सदैव से हिस्सा रही है। कहा जाता है जब अंतश्चेतना जागृत होती है तो ऊर्जा जीवन को कला के रूप में उभारती है। उसी कला और संस्कृति को संजोने तथा संरक्षित करने हेतु हो रहे कार्यों को शिक्षक ,छात्र एवं रूद्रा सदस्यों ने डा किरण सेठ के सानिध्य में श्रवण किया।

डॉ. किरण सेठ ने कहा हम बच्चों को क्या दे रहे हैं?

युवाओं के बीच बढ़ रहे तनाव, अवसाद को लेकर हमारी शिक्षा व्यवस्था, हम शिक्षक एवं समाज का उत्तरदायित्व क्या है ? आज हमारा बंदर मन हमारे ऊपर हावी है हमें अपने युवा संसाधन को कैसे संभालना होगा। डाॅ सेठ के इस साइकिल यात्रा के संदेश “मतदान अवश्य करें” को आगे बढ़ाते हुए फाउंडेशन स्कूल के प्रिंसिपल विकास ओझा ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को मतदाता के रूप में पंजीकृत करने और उसे सूचित और नैतिक तरीके से हर चुनाव में अपना वोट देने के लिए सक्षम और सशक्त बनाने के लिए हम नागरिकों की सार्वभौमिक और प्रबुद्ध भागीदारी हेतु आह्वान करते हैं। स्वीप आइकॉन अभिराम ने 1 जून 2024 को पहले मतदान फिर जलपान का लोगों से आह्वान किया। सभी ने पर्यावरण के साथ अपने संबंधों को और भी संवेदना से परिपूर्ण बनाने,मतदान करने तथा अपनी संस्कृति, कला को संरक्षित करने का संकल्प लिया । परिचर्चा में इस दौरान विभिन्न विद्यालयों एवं शहर के बुद्धिजीवी वर्ग उपस्थित हुए।

 

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