रामचरितमानस अर्थात मन में श्री राम चरित्र का सम्यक स्थापना : आचार्य रणधीर ओझा
सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम नया बाजार में नौ दिवसीय श्रीराम कथा का हुआ शुभारम्भ




न्यूज़ विज़न। बक्सर
नगर के नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में महंत राजाराम शरण दास जी महाराज के सानिध्य में आयोजित नव दिवस राम कथा का शुभारम्भ संध्या 4 बजे से व्यासपीठ पूजन के साथ हुआ जो की प्रतिदिन कसंध्या 4 बजे से 7 बजे तक चलेगा।








रामकथा के पहले दिन मामा जी की कृपा पात्र आचार्य रणधीर ओझा ने कहा की रामचरितमानस अर्थात मन में श्री राम चरित्र का सम्यक स्थापना। श्री रामचरितमानस का पहला शब्द है वर्ण और मानस जी का अंतिम शब्द है मानवता। अर्थात यह श्री राम चरित्र मानस मानव मात्र के लिए चाहे वह किसी भी वर्ण किसी भी जाति का या किसी भी संप्रदाय का हो अगर वह मानस का अनुगमन करता है तो उसका कल्याण होकर ही रहेगा।



मानस की चौपाई सामान्य नहीं है साक्षात वेद की ऋचाएं है श्री राम चरित्र मानस भगवान भोलेनाथ का हृदय है भोले बाबा ने जगत के कल्याण करने के लिए अपने हृदय में छिपे राम प्रेम को ही रामचरितमानस के रूप में प्रकट किया। आचार्य श्री ने कहां की आज समाज में राम कथा की माहिती आवश्यकता महसूस हो रही है आज मर्यादाएं टूट रही है राष्ट्रीय हित परिवरहित एवं समाज हित के सोच का अभाव नजर आ रहा है इसलिए श्री राम का चरित्र के कतिपय माननीय गुण को आत्म सात करना अनिवार्य है। जैसे विद्या विनय संयम से एक सलीनता सत्कर्म प्रवृत्ति एवं सदा चरण हमारे आदर्श श्री राम के चरित्र में उक्त सभी गुण विद्यमान है। एक सही समाज की स्थापना के लिए हमें श्री राम के बचपन के सु संस्कार से लेकर राजा बने तक के त्याग पूर्ण जीवन चरित्र को प्रत्यक्ष कर उसे जीवन में उतरना होगा। उन्होंने कहा कि जो जीव श्री राम कथा रूपी गंगा में स्नान कर लेते हैं वह त्रितापो से मुक्त हो जाता है लेकिन दुर्भाग्य है कि हम श्री राम को तो मानते हैं किंतु श्री राम का नहीं मानते । हमने उनके चरणों के पकडा हुआ है। किंतु उनके आचरण को धारण करने में हमसे कहीं चूक हो जाती है। हमें विश्वास है जिस दिन हम चित्र को ही नहीं उनके चरित्र को भी अपने चित में धारण करेंगे उसे दिन सत्य ही मात्र भारत भूमि में ही नहीं संपूर्ण जगत में राम राज्य स्थापित हो जाएगा। श्री राम का विश्वास साधनों में नहीं साधना में हो, वह शासन नहीं अनुशासन के पक्षधर है वह संसार को जीतने में नहीं स्वयं को जीतने और नियंत्रित रखने में विश्वास रखते हैं आज समाज राष्ट्र एवं परिवार को राम कथा की महती आवश्यकता है।

